पॉल रॉबसन की याद…

विशेष: पॉल रॉबसन पिछली सदी के सबसे प्रसिद्ध क्रांतिकारी सांस्कृतिक व्यक्तित्वों में से एक थे. विश्व शांति की अग्रणी और मानवाधिकारों की मुखर आवाज़ रॉबसन ने अफ़्रीकी-अमेरिकी अश्वेतों के साथ होने वाले नस्ल-भेद के ख़िलाफ़ अनथक संघर्ष किया था. The post पॉल रॉबसन की याद… appeared first on The Wire - Hindi.

विशेष: पॉल रॉबसन पिछली सदी के सबसे प्रसिद्ध क्रांतिकारी सांस्कृतिक व्यक्तित्वों में से एक थे. विश्व शांति की अग्रणी और मानवाधिकारों की मुखर आवाज़ रॉबसन ने अफ़्रीकी-अमेरिकी अश्वेतों के साथ होने वाले नस्ल-भेद के ख़िलाफ़ अनथक संघर्ष किया था.

(पोस्टर साभार: Ricardo Levins Morales Art Studio)

पॉल रॉबसन पिछली सदी के सबसे प्रसिद्ध क्रांतिकारी सांस्कृतिक व्यक्तित्वों में से एक थे. वे विश्व शांति की अग्रणी और सर्वमान्य आवाज़ों में से भी एक थे. उनका जन्म 1898 की 9 अप्रैल को प्रिंसटन, अमेरिका में हुआ था. उन्होंने नाटकों में और फिल्मों में अभिनय किया, फुटबॉल के वे बड़े नामी खिलाड़ी रहे, उन्होंने गीत लिखे और संगीत दिया.

वैसे तो वे सभी मनुष्यों के अधिकारों की सबसे मुखर आवाज़ थे लेकिन अफ़्रीकी-अमेरिकी अश्वेतों के साथ होने वाले नस्ल-भेद के ख़िलाफ़ उन्होंने अनथक संघर्ष किया. वे सारी दुनिया में इतने प्रसिद्ध थे कि उनका 60वां जन्मदिन भारत, पूर्व सोवियत संघ, चीन सहित अनेक देशों में मनाया गया था.

एक अमेरिकी व्यक्ति ने लिखा है कि जब मैं भारत आकर गांधी जी से मिला तो सबसे पहला सवाल उन्होंने मुझसे यही किया कि पॉल रॉबसन कैसे हैं. अपनी पढ़ाई के दौरान भूपेन हज़ारिका पॉल रॉबसन से न्यूयॉर्क में मिले और रॉबसन के दर्शन ‘संगीत सामाजिक बदलाव के लिए’ से गहरे प्रभावित हुए. हज़ारिका ने पॉल रॉबसन के विश्व प्रसिद्ध गीत ‘ओल्ड मैन रिवर (मिसिसिपी)’ की धुन पर असमिया, बांग्ला और हिंदी आदि भाषाओं चर्चित गीत ‘ओ गंगा बहती हो क्यों’ की रचना की.

शांति और मनुष्यता के इस महान व्यक्तित्व को भुलाने की साज़िशें सत्ताओं द्वारा की जाती रही हैं, लेकिन पॉल रॉबसन और उनके जैसी अनेक सच्ची और बुलंद आवाज़ों को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा.

पिछली सदी के ही विश्व के सबसे महान कवियों में से एक माने जाने वाले चिली के पाब्लो नेरुदा ने पॉल रॉबसन के लिए यह कविता लिखी थी. मूल रूप से स्पेनिश में लिखी इस कविता का अंग्रेजी अनुवाद जिल बूटी ने किया. अंग्रेजी से हिंदी विनीत तिवारी द्वारा अनूदित है.

उनके जन्मदिन के मौके पर प्रस्तुत है…

एक गीत पॉल रॉबसन के लिए

जब उसका अस्तित्व भी नहीं था
तब भी उसकी आवाज़ वहां थी, इंतज़ार करती हुई

रोशनी सायों से दूर हो गई
और दिन रात से
और धरती पानी से

और पॉल रॉबसन की आवाज़ ने ख़ामोशी से अपने आपको अलग कर लिया.
अंधेरा वहां पैर जमाना चाहता था
और नीचे जड़ें पनपने लगीं
बेनूर पौधे रोशनी को जानने के लिए कसमसाए
सूरज थरथरा उठा, पानी का मुंह सिल गया,
जानवर भी बदल रहे थे धीरे
धीरे से वे हवा और बारिश के साथ ढल गए.

तब से इंसान की आवाज़
तुम ही हो
और तुम ही हो धरती का वो गीत
जो नदियों और क़ुदरत की हलचलों से
अंकुराता है.

जल प्रपात ने तुम्हारे दिल पर
असमाप्य गर्जन छेड़ रखा था
गोया कोई पूरी की पूरी नदी
सीधी किसी पत्थर पर गिरी
और पत्थर गा उठा सारी ख़ामोशी को
ऐसा ही रहा जब तक
तुम्हारी आवाज़ में शामिल हर चीज़ का
और हर किसी का ख़ून
इतना ऊपर न उठ गया कि रोशनी बन गया
धरती और आसमान,
आग, और छाया और पानी
सब कुछ तुम्हारे गीत के साथ ऊपर उठता गया

लेकिन
बाद में फिर एक बार
दुनिया स्याह अंधेरे में घिर गई
दहशत, जंग और दर्द ने ग्रीन फ़्लेम* को बुझा दिया
बुझ गई गुलाब के फूल की आग
और शहरों पर गिरी
ख़ौफ़नाक गर्द और क़त्ल किए गए लोगों की राख.

वे अपने माथे पर एक नंबर चिपकाए थे
उनके सिरों पर बिल्कुल भी बाल नहीं थे
पोलैंड में, यूक्रेन में, एम्स्टर्डम में और प्राग में
मर्द, औरत, बुजुर्ग और बच्चे
उठाए गए और भेज दिए गए भट्टियों में

फिर से शहर ग़मज़दा थे
और ख़ामोशी बहुत ज़्यादा थी और बहुत सख़्त
मसलन एक धड़कते हुए दिल पर
लगा दिया हो क़ब्र का भारी पत्थर
मसलन एक बच्चे की आवाज़ पर रखा हो
कोई मुर्दा हाथ

तब तुमने, पॉल रॉबसन,
तुमने गाया

और फिर से धरती पर और आग पर
सुनाई देने लगी
पानी की ताक़तवर आवाज़,
धीमी, गंभीर, वज़नदार और शुद्ध
मिट्टी की आवाज़

हमें फिर से याद दिलाती हुई
कि हम अभी भी मनुष्य हैं
कि साझा करने के लिए शोक है तो उम्मीद भी है
तुम्हारी आवाज़ ने हमें उस शैतानियत** से दूर कर दिया
जिसने इंसानियत को ही ख़तरे में डाल दिया था
से दूर कर दिया

फिर एक बार
अंधेरे से रोशनी अलग की गई

फिर हिरोशिमा में गिरा
ख़ामोशी का पहाड़
सब कुछ ख़त्म
बचा कुछ भी नहीं
एक मर चुकी खिड़की पर बैठी एक चिड़िया भी नहीं
रोते हुए अपने बच्चे के साथ बैठी एक मां भी नहीं
किसी कारख़ाने की गूंज भी नहीं
किसी मरते हुए वायलिन की आवाज़ भी नहीं
कुछ भी नहीं
आसमान से सिर्फ़ मौत की ख़ामोशी गिरी .

और फिर
एक बार फिर
पॉल, तुमने गाया,
तुमने एक साथी की तरह गाया, तुमने इंसानों की आवाज़ को गाया
अपनी गहराई में, अपनी उम्मीदों में
अपने आपको पुनर्नवा करते हुए
अपने अनुनादों में गाया

फिर से
तुम्हारा दिल पहले से गहरा था,
पहले से ऊंचा था और पहले से बड़ा
जो ख़ामोशी से कहीं ज़्यादा मज़बूत था.

मैं अपना ही मख़ौल बनाऊंगा अगर
मैं तुम्हें काले लोगों की आवाज़ों के राजा का ताज पहनाऊं
उन बेहतरीन और प्यारे लोगों का
जिनके पास ख़ूबसूरत संगीत है और हाथीदांतों का खज़ाना
जो सिर्फ़ काले रंग के बच्चों के पास है
जो अपने निर्दयी मालिकों द्वारा ज़ंजीरों में बंधे हुए हैं
उनके लिए तुम गाते हो

नहीं, पॉल रॉबसन, तुम सिर्फ़ उनके लिए नहीं गाते,
तुमने गाया, लिंकन के साथ गाया
अपनी पवित्र आवाज़ से सारे आसमान को भरते हुए
सिर्फ़ काले लोगों के लिए नहीं, ग़रीब काले और ग़रीब गोरों के लिए भी
ग़रीब अमेरिकी आदिवासियों के लिए भी गाया
तुमने सभी लोगों के लिए गाया

तुम पॉल रॉबसन,
तुम तब भी ख़ामोश नहीं रहे
जब पेड्रो और हुआन को अपना सामान
भरी बारिश में सड़क पर रखना पड़ा था
या जब लाखों शहीदों के दोगुने बड़े दिल जला दिए गए
या जो लोग मेरे देश में जला दिए गए

इतने अत्याचारों के बीच भी तुम ख़ामोश नहीं थे
तुमने गाये गीत बुरे वक़्तों में भी जैसे मेरे चिली देश में
ज्वालामुखियों के बीच भी गेहूं उगता है
तुमने किसी ख़ामोशी के बीच गाना नहीं छोड़ा
इंसान गिरा और फिर तुम्हारी वजह से उठ खड़ा हुआ
तुम कभी ज़मींदोज़ दरिया की तरह रहे
कुछ ऐसे जैसे अंधेरे में दाख़िल हो पाती है
रोशनी की कोई किरण बमुश्किल ही,
आत्मसम्मान की आख़िरी तलवार
जो खेत रही

रोशनी की घायल आख़िरी किरण
कभी न दबाया जा सकने वाला बवंडर
इंसान की रोटी, इज़्ज़त, संघर्ष, उम्मीद,
तुमने इन सबकी हिफ़ाज़त की
पॉल रॉबसन.

इंसान की रोशनी, सूरज का बेटा,
हमारा सूरज,
अमेरिकी बस्ती का सूरज
और एंडीज पर्वत की लाल बर्फ़ का पहरेदार:
तुमने हमारे लिए रोशनी की हिफ़ाज़त की.

गाओ साथी, गाओ भाई – पृथ्वी का गीत,
ओ अग्नि के पिता, गाओ,
गाओ हम सबके लिए जो ज़िंदा हैं,
जो मछुआरे हैं और
जो पुराने हथौड़ों से कीलें ठोक रहे हैं
जो रेशम के क्रूर धागों को बुन रहे हैं
जो काग़ज़ की लुगदी को सान रहे हैं,
जो छापेखानों में हैं
और उनके लिए भी
जो जेलों के भीतर
अपनी आंखों को भी मुश्किल से ही बंद कर पाते हैं
जो आधी रात भी जागे हुए हैं,
जो यातना के दो सिरों के बीच
बमुश्किल इंसान बचे हैं
उनके लिए भी गाओ
जो चार हज़ार मीटर की ऊंचाई पर
एंडीज के नंगे अकेलेपन में
तांबे से लोहा ले रहे हैं
गाओ मेरे दोस्त, गाओ, रुको नहीं.

तुमने उन नदियों की ख़ामोशी को हरा दिया जिनकी आवाज़ खो गई थी
क्योंकि उनमें पानी की जगह ख़ून बह रहा था,
तुम्हारी आवाज़ ने उनके ज़रिये गाया,
गाओ.

तुम्हारी पुकार से बहुत लोग इकट्ठा हुए
जो एक-दूसरे को जानते भी नहीं थे
अब,
बहुत दूर
चुंबकीय उराल*** में
और खो चुकी पैटागोनिया**** की बर्फ में
तुम छायाओं, समुद्र और वनस्पतियों की गंध से गुजरते हो
और गुजरते हुए गाते हो
तुम गाते हो तो सुनते हैं नौजवान
कोयला झोंकने वाले तुम्हें सुनते हैं
और सुनते हैं भटकते शिकारी के कान
सुनते हैं उस चरवाहे के गीत जो अपने गिटार के साथ अकेला छोड़ दिया गया है.
वे सब तुम्हें सुनते हैं

और वेनेज़ुएला की किसी खोई हुई जेल में बंद
शानदार चमकता हुआ जीसस फ़रिया*****
जिसने तुम्हारे गीत में सुना एक शांत तूफ़ान

क्योंकि जब तुम गाते हो तो वे जान जाते हैं,
समुद्र अभी भी मौजूद है
और वो अभी तक गाता भी है

वो जानते हैं कि समंदर आज़ाद है,
उसका विस्तार अपार है
और उसमें गुंचे भी हैं, गुल भी
मेरे दोस्त, ऐसी ही है तुम्हारी आवाज़, तुम्हारा गान

सूरज हमारा है
धरती भी हमारी होगी
समंदर के गुंबद,
तुम यूं ही गाते रहोगे
हौसले और इंसानियत और उम्मीदों और संघर्षों के गीत.
***

संदर्भ:
* दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान इटली में जर्मनी के ख़िलाफ़ सक्रिय रहे एक प्रतिरोधी दल का नाम था ग्रीन फ़्लेम
** फ़ासीवाद और नाज़ीवाद
*** उराल रूस में एक पहाड़ है, जहां पहले बहुतायत में लौह अयस्क पाया जाता था.
**** चिली और अर्जेंटीना में मौजूद दुनिया का आठवां सबसे बड़ा रेगिस्तान.
***** जीसस फ़रिआ वेनेज़ुएला की कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक थे जिसके वे 30 वर्षों तक महासचिव भी रहे. उन्होंने वेनेज़ुएला की तेल कंपनियों में पहली मर्तबा ट्रेड यूनियन बनाई थी और 1950 में सैन्य शासन के ख़िलाफ़ तेल कंपनियों के कर्मचारियों की ज़बरदस्त हड़ताल का नेतृत्व किया था.

(विनीत तिवारी कवि और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता तथा प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय सचिव हैं.)

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