कश्मीर में पुलिसकर्मियों पर पत्रकार से मारपीट और प्रताड़ित करने का आरोप

जम्मू कश्मीर के अनंतनाग ज़िले की घटना. स्वतंत्र पत्रकार आकाश हसन का कहना है कि उन्हें उनके पत्रकार होने की वजह से निशाना बनाया गया. उन्होंने कहा कि आरोपी पुलिसकर्मियों को दंडित किया जाना चाहिए, ताकि वह दोबारा ऐसा नहीं करें. पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ़्ती ने इस हमले को अस्वीकार्य और शर्मनाक बताते हुए कश्मीर के आईजीपी विजय कुमार से पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करने का अनुरोध किया है.

जम्मू कश्मीर के अनंतनाग ज़िले की घटना. स्वतंत्र पत्रकार आकाश हसन का कहना है कि उन्हें उनके पत्रकार होने की वजह से निशाना बनाया गया. उन्होंने कहा कि आरोपी पुलिसकर्मियों को दंडित किया जाना चाहिए, ताकि वह दोबारा ऐसा नहीं करें. पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ़्ती ने इस हमले को अस्वीकार्य और शर्मनाक बताते हुए कश्मीर के आईजीपी विजय कुमार से पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करने का अनुरोध किया है.

पत्रकार आकाश हसन (फोटो साभारः ट्विटर)

पुलवामा: जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले में संगम चेकनाका पर बीते 17 जुलाई की शाम को एक स्वतंत्र पत्रकार पर कथित तौर पर पुलिस द्वारा हमला किए जाने का मामला सामने आया है. पत्रकार से उस समय मारपीट की गई, जब वह घर लौट रहे थे.

पीड़ित पत्रकार की पहचान 23 वर्षीय आकाश हसन के रूप में हुई है, जिन्होंने इस घटना की जानकारी अपने ट्विटर एकाउंट पर भी दी है. उन्होंने अपने चेहरे और हाथ पर चोट के निशान दिखाते तस्वीरें भी साझा की हैं.

अंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों के लिए लिखने वाले हसन का आरोप है कि पत्रकार होने की वजह से उन्हें निशाना बनाया गया.

17 जुलाई को हुई घटना को याद करते हुए हसन ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर ट्रैफिक जाम था और पुलिस को उसे हटाने में पंद्रह मिनट लगे.

हसन ने बताया, ‘एक एसआई सड़क के बीच में खड़े थे. उन्होंने मेरे सामने गाड़ी चला रहे एक पिकअप ड्रावर की पिटाई की, जब मैं उनके पास पहुंचा और अपनी कार धीमी की तो उन्होंने मेरा कॉलर पकड़ लिया और बिना किसी कारण मेरे चेहरे पर मारा. जब मैंने उनसे बात करने की कोशिश की तो उन्होंने मेरी एक नहीं सुनी. उनमें से एक ने मेरे वाहन पर प्रेस टैग देखा और प्रेस चिल्लाया. उन्होंने मुझे कार से बाहर खींचने की कोशिश की लेकिन मैं जल्दी भाग निकला.’

घटना के बाद हसन पास के अस्पताल में गए जहां उन्हें प्राथमिक उपचार दिया गया. इसके बाद उन्हें आगे के इलाज के लिए ईएनटी विशेषज्ञ के पास जाने की सलाह दी गई.

अनंतनाग की जिला पुलिस ने उनके ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘मामले का संज्ञान लिया गया है. जिन परिस्थितियों में यह सब हुआ, उसकी जांच की जा रही है. शाम के समय भीड़ थी और तकनीकी खराबी की वजह से एक लोडेड ट्रक संगम ब्रिज पर फंस गया, जिससे भारी ट्रैफिक जाम लग गया था. जाम हटाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी. सभी से पुलिस का सहयोग करने और टकराव से बचने का अनुरोध है.’

हसन ने मांग की कि उन पुलिसकर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए, जिन्होंने उनसे मारपीट की.

उन्होंने कहा, ‘उन्हें दंडित किया जाना चाहिए ताकि वह दोबारा ऐसा नहीं करें.’

हसन पर हमले ने स्थानीय पत्रकारों और नेताओं के बीच तत्काल आक्रोश पैदा किया, जिन्होंने आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग की.

पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता महबूबा मुफ्ती ने इस हमले को अस्वीकार्य और शर्मनाक बताते हुए कश्मीर के आईजीपी विजय कुमार से पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का अनुरोध किया.

पत्रकार और हसन के दोस्त जफर अफाक ने द वायर  को बताया, ‘आकाश पर हमला नृशंस और भयावह है. हम देख रहे हैं कि पुलिस द्वारा प्रेस के सदस्यों पर हमले तेजी से बढ़ रहे हैं. यह रुकना चाहिए और पुलिस को इसके बजाय पत्रकारों की मुक्त आवाजाही को सक्षम करना चाहिए.’

पत्रकार अजान जावेद ने ट्वीट कर कहा, ‘पुलिस द्वारा बेहद निंदनीय और शर्मनाक व्यवहार. संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए.’

कश्मीर प्रेस क्लब ने भी हमले की निंदा की और मामले की जांच करने को कहा.

कश्मीर प्रेस क्लब के अध्यक्ष शुजा उल हक ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना है कि पत्रकारों को इस तरह पीटा जा रहा है, हमें उम्मीद है कि अधिकारी इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर ध्यान देंगे और पता लगाएंगे कि वास्तव में क्या हुआ था.’

उन्होंने कहा कि किसी के भी साथ ऐसा व्यवहार नहीं होना चाहिए.

इसी तरह जर्नलिस्ट फेडरेशन ऑफ कश्मीर ने आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि हसन पर हमला एक बार फिर जवाबदेही की कमी और कश्मीर की जमीनी हकीकत को उजागर करता है.

हसन का मामला अकेला नहीं है, कश्मीर में पत्रकार उत्पीड़न और रिपोर्टिंग को लेकर उनके खिलाफ मामले दर्ज होने को लेकर लगातार शिकायत कर रहे हैं.

हाल ही में बीबीसी की उर्दू सेवा के वीडियो पत्रकार शफत फारूक और स्वतंत्र फोटो पत्रकार साकिब मजीद ने आरोप लगाया था कि रिपोर्टिंग को लेकर उनके साथ भी मारपीट की गई थी.

पिछले साल वैश्विक मीडिया संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने कहा था कि 2020 विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में भारत दो स्थान फिसलकर 180 देशों की सूची में 142वें स्थान पर रहा.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)