इससे पहले कोरोना वायरस को लेकर हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा था कि सरकार द्वारा संचालित अहमदाबाद सिविल अस्पताल की हालत दयनीय और कालकोठरी से भी बदतर है. बदलाव के बाद पीठ ने नाराज़गी ज़ाहिर की कि महामारी से निपटने को लेकर सरकार के बारे में की गईं अदालत की हालिया टिप्पणियों का ग़लत मंशा से दुरुपयोग किया गया.
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दरअसल जस्टिस जेबी पर्दीवाला और जस्टिस आईजे वोरा की पीठ ने इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए 22 मई को अपने आदेश में कहा था कि सरकार द्वारा संचालित अहमदाबाद सिविल अस्पताल की हालत ‘दयनीय और कालकोठरी से भी बदतर है.’ इस अस्पताल में अब तक 415 कोविड-19 मरीज दम तोड़ चुके हैं. अदालत की इस टिप्पणी को लेकर विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया था. मालूम हो कि जस्टिस जेबी पर्दीवाला और इलेश जे. वोरा की पीठ ने कोरोना महामारी को लेकर राज्य सरकार को सही ढंग और जिम्मेदार होकर कार्य करने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए थे. हालांकि पिछले हफ्ते इस पीठ में परिवर्तन कर दिया गया. अब पीठ में परिवर्तन किए जाने के कारण कोरोना मामलों की सुनवाई मुख्य न्यायधीश विक्रम नाथ की अगुवाई वाली पीठ कर रही है, जिसमें जस्टिस जेबी पर्दीवाला बतौर जूनियर जज शामिल हैं. इस पीठ में अचानक परिवर्तन किए जाने को लेकर विभिन्न वर्गों ने चिंता जाहिर की थी कि कहीं ये पिछली पीठ द्वारा दिए गए आदेशों को कमजोर करने के लिए तो नहीं किया गया है. (समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)