कोविड-19 मुआवज़ा: कोर्ट की केंद्र को फटकारा, कहा- दिशानिर्देश बनाने तक तीसरा चरण भी ख़त्म हो जाएगा

कोविड-19 से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को चार लाख रुपये का मुआवज़ा देने संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि हमने काफी पहले आदेश पारित किया था. हम एक बार समय अवधि में विस्तार कर चुके हैं. जब तक आप दिशानिर्देश बनाएंगे तब तक कोविड-19 का तीसरा चरण भी समाप्त हो जाएगा.

कोविड-19 से जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को चार लाख रुपये का मुआवज़ा देने संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि हमने काफी पहले आदेश पारित किया था. हम एक बार समय अवधि में विस्तार कर चुके हैं. जब तक आप दिशानिर्देश बनाएंगे तब तक कोविड-19 का तीसरा चरण भी समाप्त हो जाएगा.

(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: कोविड-19 के कारण जान गंवाने वाले लोगों के परिवार को मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए दिशानिर्देश तय करने में विलंब पर सुप्रीम कोर्ट ने बीते शुक्रवार का नाखुशी जताई है और केंद्र सरकार को 11 सितंबर तक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया.

जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अनिरूद्ध बोस की पीठ ने कहा, ‘हमने काफी पहले आदेश पारित किया था. हम एक बार समय अवधि में विस्तार कर चुके हैं. जब तक आप दिशानिर्देश बनाएंगे तब तक (कोविड-19 का) तीसरा चरण भी समाप्त हो जाएगा.’

केंद्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को भरोसा दिलाया कि हर चीज विचाराधीन है.

याचिका दायर करने वाले वकील गौरव बंसल ने कहा कि विचाराधीन होने का बहाना कर चीजों में देरी नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि शीर्ष अदालत 16 अगस्त को केंद्र को चार हफ्ते के समय का विस्तार दे चुकी है, ताकि मुआवजे के भुगतान के लिए दिशानिर्देश बनाया जा सके, लेकिन केंद्र सरकार अब और वक्त मांग रही है.

कुछ याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश हुए वकील समीर सोढ़ी ने कहा कि 30 जून को पारित पहले निर्देश का समय आठ सितंबर को समाप्त हो रहा है.

पीठ ने कहा कि यह केंद्र सरकार पर निर्भर करता है कि वह उस समयावधि के अंदर मुआवजे पर निर्णय करे और आज वह मामले को अन्य निर्देशों के अनुपालन के उद्देश्य से स्थगित कर रही है.

पीठ ने कहा कि 13 सितंबर का समय तय कीजिए, क्योंकि सॉलिसीटर जनरल ने 30 जून 2021 को दिए गए अन्य निर्देशों के अनुपालन के लिए समय मांगा है और अनुपालन रिपोर्ट 11 सितंबर या उससे पहले रजिस्ट्री के पास जमा कराई जाए.

सुप्रीम कोर्ट ने 30 जून के फैसले में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को निर्देश दिया था कि कोविड-19 के कारण जिन लोगों की मौत हुई है उनके परिवार को मुआवजा देने के लिए छह हफ्ते के अंदर दिशानिर्देश तय करें.

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने यह भी कहा था कि कोविड-19 से मरने वाले लोगों के मृत्यु प्रमाण-पत्र पर तारीख और मौत का कारण भी होना चाहिए और अगर परिवार संतुष्ट न हो तो मौत के कारण को दुरुस्त करने की भी प्रक्रिया होनी चाहिए.

अदालत ने कहा था कि केंद्रीय एजेंसी न्यूनतम राहत प्रदान करने की जिम्मेदार है, जिसमें अनुग्रह राशि भी शामिल हो, लेकिन कहा कि वास्तविक कीमत अधिकारी के ऊपर छोड़ी जा सकती है.

हालांकि, तब सरकार ने कहा था कि आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 12 के अनुसार, मुआवजा प्रदान करना अनिवार्य नहीं है. बीते जून महीने में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि कोविड-19 से हुईं प्रत्येक मौत पर चार लाख रुपये का मुआवजा नहीं दे सकते हैं. सरकार ने यह भी कहा था कि मुआवजा नहीं दिया जा सकता है, क्योंकि यह (आपदा प्रबंधन अधिनियम) केवल प्राकृतिक आपदा पर लागू होता है.

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दायर 183 पेजों के हलफनामे में कहा था, ‘अगर कोरोना से जान गंवा चुके हर शख्स के परिवार को चार-चार लाख रुपये की मुआवजा राहत राशि दी जाए तो राज्य आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ) की पूरी धनराशि अकेले इसी पर खर्च हो सकती है और कुल खर्च इससे अधिक भी हो सकता है.’

हलफनामे में कहा गया था कि कोरोना के बजाय अन्य बीमारियों के लिए मुआवजा देने से इनकार करना अनुचित होगा.

केंद्र ने यह भी कहा था कि स्वास्थ्य खर्च में वृद्धि और कम कर राजस्व के कारण लाखों कोविड पीड़ितों को मुआवजे का भुगतान करना राज्यों के बजट से परे है.

साथ ही सरकार ने शीर्ष अदालत को कार्यकारी नीतियों से दूर रहने के अपने पहले के फैसले की भी याद दिलाई और कहा था कि न्यायपालिका केंद्र की ओर से निर्णय नहीं ले सकती है.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला दो अलग-अलग याचिकाओं पर आया था, जिसे वकील रीपक कंसल और गौरव कुमार बंसल ने दायर किया था और केंद्र तथा राज्यों को निर्देश देने की अपील की थी कि कोरोना वायरस के कारण जिन लोगों की मृत्यु हुई है, उनके परिवार को कानून के तहत चार लाख रुपये मुआवजे का भुगतान किया जाए.

इस मामले पर कांग्रेस ने विपक्षी कांग्रेस की निंदा की थी और परिजनों के लिए 10 लाख रुपये के मुआवजे की मांग करते हुए कहा था कि अगर वह इतना भी मुहैया नहीं कर सकती है तो सरकार को शासन करने का कोई अधिकार नहीं है.

कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा था कि पेट्रोल और डीजल से वसूले जा रहे कर से फंड को इसके लिए दिया जा सकता है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)