सरकार ने आईडीबीआई बैंक के निजीकरण को दी मंज़ूरी, कर्मचारी संघ ने किया विरोध

02:21 PM May 07, 2021 | द वायर स्टाफ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने आईडीबीआई बैंक की रणनीतिक बिक्री को मंज़ूरी दे दी. इस बैंक में केंद्र सरकार और एलआईसी की कुल हिस्सेदारी 94 प्रतिशत से ज़्यादा है. अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ ने इसका विरोध करते हुए कहा कि बैंक इसलिए मुश्किलों में आया, क्योंकि कुछ कॉरपोरेट घरानों ने उसके ऋण वापस न कर धोखाधड़ी की.

(फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: मंत्रिमंडल ने इस साल के बजट में की गई घोषणा के अनुरूप आईडीबीआई बैंक की हिस्सेदारी चुनिंदा निवेशक को बेचने और उसे बैंक का प्रबंध सौंपने के प्रस्ताव को सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की.

आईडीबीआई बैंक में केंद्र सरकार और भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की कुल हिस्सेदारी 94 प्रतिशत से ज्यादा है.

एलआईसी के पास बैंक के 49.21 प्रतिशत शेयर हैं और साथ ही वह उसकी प्रवर्तक है एवं उसके पास बैंक के प्रबंधन का नियंत्रण है.

एक आधिकारिक बयान में बुधवार को कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने आईडीबीआई बैंक की रणनीतिक बिक्री को मंजूरी दे दी.

इसमें कहा गया कि भारतीय रिजर्व बैंक के साथ विचार-विमर्श कर तय किया जाएगा कि इस बैंक में केंद्र सरकार और एलआईसी की कीतनी कितनी हिस्सेदारी बेची जाए.

गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 का बजट पेश करते समय घोषणा की थी कि चालू वित्त वर्ष के विनिवेश कार्यक्रम में सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ बैंकों (पीएसबी) का निजीकरण भी किया जाएगा. बजट में विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, उन्होंने कहा था, आईडीबीआई बैंक के अलावा हम वर्ष 2021-22 में दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और एक जनरल बीमा कंपनी के निजीकरण का प्रस्ताव रखते हैं.

बीमा क्षेत्र की दिग्गज एलआईसी ने जनवरी 2019 में आईडीबीआई बैंक में 51 प्रतिशत नियंत्रण हासिल कर लिया था.

इससे पहले मार्च में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कुछ सुधारात्मक और सतत निगरानी के अधीन त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) ढांचे से आईडीबीआई बैंक को बाहर कर दिया था.

बैंक को मई 2017 में पीसीए ढांचे के तहत रखा गया था, जो विस्तार, निवेश और ऋण देने पर प्रतिबंध लगा रहा था.

आईडीबीआई बैंक को पीसीए के तहत रखा गया था, क्योंकि इसने पूंजी पर्याप्तता, संपत्ति की गुणवत्ता (मार्च 2017 में नेट एनपीए 13 फीसदी से अधिक था), परिसंपत्तियों पर वापसी और लाभ-नुकसान के अनुपात के लिए सीमाएं तोड़ दी थीं.

मुंबई स्थित बैंक ने पांच साल के बाद वार्षिक आधार पर मुनाफा कमाया, क्योंकि उसने वित्त वर्ष 2020 में 12,887 करोड़ रुपये के घाटे के मुकाबले 2020-21 वित्त वर्ष के लिए 1,359 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया.

इसके साथ ही सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (जीएनपीए) अनुपात में 27.33 प्रतिशत के मुकाबले 22.37 प्रतिशत सुधार हुआ.

एआईबीईए ने आईडीबीआई बैंक के निजीकरण से जुड़े सरकार के फैसले का विरोध किया

अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) ने आईडीबीआई बैंक का निजीकरण करने से जुड़े सरकार के फैसले का विरोध करते हुए इसे एक प्रतिगामी कदम बताया.

संघ ने कहा कि सरकार को बैंक की पूंजी शेयर का 51 प्रतिशत हिस्सा अपने पास रखना चाहिए.

बैंक संघ ने बुधवार को एक बयान में कहा कि बैंक इसलिए मुश्किलों में आया, क्योंकि कुछ कॉरपोरेट घरानों ने उसके ऋण वापस न कर उसके साथ धोखाधड़ी की. इसलिए वक्त की जरूरत है कि ऋण वापस न करने वाले कर्जदारों के खिलाफ कार्रवाई कर पैसों की वसूली की जाए.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)