इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉ. कफ़ील ख़ान के ख़िलाफ़ दूसरे निलंबन आदेश पर रोक लगाई

05:26 PM Sep 15, 2021 | द वायर स्टाफ

डॉ. कफ़ील ख़ान को अगस्त 2017 में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुई ऑक्सीजन त्रासदी के बाद निलंबित किया गया था. जुलाई 2019 में बहराइच ज़िला अस्पताल में मरीज़ों का जबरन इलाज करने और सरकार की नीतियों की आलोचना करने के आरोप में डॉ. कफ़ील को दूसरी बार निलंबित किया गया था.

डॉ. कफील. (फोटो साभार: फेसबुक/drkafeelkhanofficial)

नई दिल्ली: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉक्टर कफील खान के खिलाफ राज्य सरकार के दूसरे निलंबन आदेश पर रोक लगा दी है.

बहराइच जिला अस्पताल में मरीजों का जबरन इलाज करने और सरकार की नीतियों की आलोचना करने के आरोप में 31 जुलाई, 2019 को डॉक्टर को दूसरी बार निलंबित कर दिया गया था.

उन्हें पहले गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एक त्रासदी के बाद निलंबित कर दिया गया था, जहां अगस्त 2017 में ऑक्सीजन की कथित कमी के कारण लगभग 60 बच्चों की मौत हो गई थी.

डॉ. कफील खान द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सरल श्रीवास्तव ने अधिकारियों को एक महीने के भीतर उनके खिलाफ जांच समाप्त करने का निर्देश दिया.

अदालत ने आगे निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता जांच में सहयोग करेंगे और अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो अनुशासनात्मक प्राधिकारी जांच को एकपक्षीय रूप से समाप्त करने के लिए आगे बढ़ सकता है.

अदालत ने सुनवाई के लिए 11 नवंबर की तारीख तय करते हुए राज्य के अधिकारियों से चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को भी कहा है.

याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया था कि निलंबन आदेश 31 जुलाई, 2019 को पारित किया गया था और दो साल से अधिक समय बीत चुका है लेकिन जांच पूरी नहीं हुई है. इसलिए अजय कुमार चौधरी बनाम भारत संघ (2015) 7 एससीसी 291 के मामले में शीर्ष अदालत के फैसले के मद्देनजर निलंबन आदेश लागू नहीं हो सकता है.

उन्होंने आगे तर्क दिया कि चूंकि याचिकाकर्ता पहले से ही एक निलंबित कर्मचारी है, इसलिए दूसरा निलंबन आदेश पारित करने का कोई उद्देश्य नहीं है.

उन्होंने कहा कि ऐसा कोई नियम नहीं है जो राज्य सरकार को एक नया निलंबन आदेश जारी करने की अनुमति देता है, जब कर्मचारी पहले से ही निलंबन में है.

हालांकि, राज्य सरकार के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ जांच रिपोर्ट 27 अगस्त, 2021 को प्रस्तुत की गई है, जिसकी एक प्रति याचिकाकर्ता को 28 अगस्त को भेजी गई है, जिसमें आपत्ति दर्ज करने के लिए कहा गया है. उन्होंने कहा कि जांच तेजी से समाप्त की जाएगी.

पिछले महीने इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में नागरिकता विरोधी (संशोधन) अधिनियम के विरोध के दौरान दिए गए भाषण के आधार पर खान के खिलाफ आरोपों और आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया था.

दरअसल, 12 दिसंबर 2019 को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में कफील खान ने भाषण दिया था, जिसे लेकर उनके खिलाफ यूपी सरकार ने एफआईआर दर्ज की थी.

बता दें कि ऑक्सीजन की कमी से गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में लगभग 60 नवजात बच्चों की मौत के बाद 22 अगस्त 2017 को कफील खान को निलंबित कर दिया गया था.