केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर हैं. चीन ने इस पर आपत्ति जताते हुए इसे उसकी क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन बताया है.
नई दिल्ली: चीन द्वारा भारत के गृह मंत्री अमित शाह के अरुणाचल प्रदेश दौरे पर आपत्ति जताने के बीच शाह ने सोमवार (9 अप्रैल) को प्रदेश में हुई एक में एक रैली में कहा कि ‘कोई भी हमारी जमीन पर अतिक्रमण नहीं कर सकता है.’
ज्ञात हो कि बीते दिनों चीन द्वारा अरुणाचल में स्थित कई जगहों के तीसरी बार नाम बदले जाने के बाद वर्तमान में केंद्रीय मंत्री अमित शाह प्रदेश के दौरे पर हैं.
#WATCH | Before 2014, the entire Northeast region was known as a disturbed region but in the last 9 years, because of PM Modi's 'Look East' policy, Northeast is now considered an area which contributes to the development of the country: Union HM Amit Shah in Arunachal Pradesh pic.twitter.com/hMCqOL7xZe
— ANI (@ANI) April 10, 2023
रिपोर्ट के अनुसार, किबिथू में एक रैली को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि सीमा पर भारतीय सेना की मौजूदगी के साथ कोई भी देश की जमीन पर भी कब्ज़ा नहीं कर सकता है. उन्होंने कहा, ‘वो ज़माने चले गए जब कोई भी हमारी जमीन पर अतिक्रमण कर सकता था. अब सुई की नोंक के बराबर जमीन का भी अतिक्रमण नहीं किया जा सकता है…’
वह अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती गांव किबिथू में थे, जहां ‘वाइब्रेंट विलेज‘ कार्यक्रम की शुरुआत की गई. शाह ने किबिथू के 1962 युद्ध के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उन्होंने संसाधनों की कमी के बावजूद भारत-चीन युद्ध के दौरान अदम्य जज्बा दिखाया.
शाह ने इस बात पर भी जोर दिया कि मोदी सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है, जिसे पूर्वोत्तर में किए गए विकास और इंफ्रास्ट्रक्चर के काम में दिखता है.
अपने भाषण में शाह ने यह भी कहा कि सीमा पर भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवानों और सेना के चौबीसों घंटे के प्रयासों के कारण अब पूरा देश अपने घरों में चैन से सो सकता है. उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि भारत पूरे विश्वास के साथ यह घोषणा कर सकता है कि ‘किसी के पास इतनी ताकत नहीं है कि हमारी तरफ आंख उठाकर देख सके.’
अपने भाषण के दौरान शाह ने कहा कि सीमा पर भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के जवानों और सेना के चौबीसों घंटे के प्रयासों के कारण अब पूरा देश अपने घरों में शांति से आराम कर सकता है. उन्होंने कहा कि यह गर्व की बात है कि भारत पूरे विश्वास के साथ यह घोषणा कर सकता है कि ‘किसी के पास इतनी ताकत नहीं है कि हम पर बुरी नजर डाल सके.’
इससे पहले दिन में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने अमित शाह की यात्रा को चीन की क्षेत्रीय अखंडता का ‘उल्लंघन’ बताया था.
उन्होंने कहा, ‘जांगनान चीन के क्षेत्र का हिस्सा है. यहां वरिष्ठ भारतीय अधिकारी की गतिविधि चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन करती है और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति के लिए अनुकूल नहीं है. हम इसके सख्त खिलाफ हैं.’ चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के लिए जांगनान नाम इस्तेमाल किया जाता है और इस पर बीजिंग पूरी तरह से अपना दावा करता है.
उल्लेखनीय ही कि चीन नियमित रूप से अरुणाचल प्रदेश में भारतीय नेताओं और विदेशी गणमान्य अतिथियों की यात्रा पर आपत्ति जताता रहा है. भारत ने इन्हें खारिज करते हुए कहता रहा है कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा भारत का हिस्सा रहा है और रहेगा.
द वायर से बात करते हुए चीन पर जाने-माने विश्लेषक जाबिन टी. जैकब ने कहा कि गृह मंत्री की यात्रा या चीन की प्रतिक्रिया के बारे में कुछ भी नया नहीं है. उन्होंने जोड़ा, ‘तथ्य यह है कि भारत सरकार को बयानबाजी में मजा आता है लेकिन यह बयानबाजी घरेलू दर्शकों और घरेलू राजनीतिक वजहों से की जा रही है.’
वाइब्रेंट विलेज प्रोजेक्ट पर जैकब ने कहा कि ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम में निश्चित रूप से प्रेरणा ली गई है, जहां चीन द्वारा एलएसी के साथ वाले इसके सीमावर्ती गांवों में चलाए जा रहे विकास कार्यक्रम से लिया गया है. लेकिन उम्मीद है कि भारतीय संस्करण में स्थानीय चिंताओं, पर्यावरण के मुद्दों और लोकतांत्रिक जवाबदेही के मुद्दों के प्रति अधिक संवेदनशीलता के साथ आगे बढ़ाया जाएगा.’
चीन के साथ अमित शाह की आखिरी बयानबाज़ी 2019 में भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की संवैधानिक स्थिति में बदलाव के बाद हुई थी.
अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019 को निरस्त करने का प्रस्ताव पेश करते हुए शाह ने कहा कि लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दिए जाने की लंबे समय से मांग थी. जब उन्होंने जम्मू और कश्मीर के बारे में बात की, तो इसमें वे सभी हिस्से शामिल थे जो पाकिस्तान और चीन के पास हैं.
शाह ने लोकसभा में कहा था, ‘कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है, इसमें कोई संदेह नहीं है. जब मैं जम्मू कश्मीर की बात करता हूं तो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और अक्साई चिन भी इसमें शामिल हैं.
चीन ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि लद्दाख को एक अलग केंद्र शासित प्रदेश में बांटना ‘अस्वीकार्य’ था और यह सीधे तौर पर उसकी संप्रभुता को प्रभावित करेगा.
वर्तमान में भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में कुछ बिंदुओं को लेकर सैन्य गतिरोध बना हुआ है, जो मई 2020 में चीनी सैनिकों द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा को पार करने के बाद शुरू हुआ था. कई दौर की सैन्य वार्ता और बफर जोन के निर्माण के बाद भारतीय और चीनी सेनाएं चार बिंदुओं पर अलग हो गईं. लेकिन, चीन ने देपसांग के मैदानी इलाकों और डेमचोक के बाकी दो इलाकों पर किसी तरह के समझौते का कोई संकेत नहीं दिया है.
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