विधानसभा चुनाव राउंड-अप: तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के बाद कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्देनज़र भाजपा ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में बड़ी चुनावी रैलियां नहीं करने का फ़ैसला किया. नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा है कि बंगाल को अपनी बागडोर केंद्रीय नेताओं को सौंप कर ‘राष्ट्रीय पतन’ का हिस्सा नहीं बनना चाहिए. एमएनएम प्रमुख कमल हासन ने तमिलनाडु में ईवीएम स्ट्रॉन्ग रूम परिसर में ‘रहस्यमय’ वाहनों और व्यक्तियों के होने की शिकायत की.
बंगाल में भाजपा अब नहीं करेगी बड़ी चुनावी रैलियां
नई दिल्ली: कोविड-19 संक्रमण के प्रतिदिन बढ़ रहे मामलों के मद्देनजर भाजपा ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में अब बड़ी चुनावी रैलियां नहीं करने का फैसला किया है. इसकी जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अन्य नेताओं की छोटी-छोटी रैलियां होंगी और उनमें 500 से अधिक लोगों की मौजूदगी नहीं होगी.
कोरोना के बढ़ते मामलों के बाद भी बड़ी-बड़ी रैलियों के आयोजन के लिए पार्टी की चौतरफा आलोचना हो रही थी.
पार्टी ने एक बयान जारी कर कहा, ‘कोरोना के इस कठिन दौर को देखते हुए संक्रमण की कड़ी को तोड़ना बहुत जरूरी है. इसके तहत भाजपा ने तत्काल प्रभाव से बड़ी रैलियों, जन-सभाओं एवं आयोजनों पर रोक लगाने का निर्णय लिया है.’
पार्टी ने कहा कि चूंकि पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं और इस संवैधानिक एवं लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पूर्ण होना भी बहुत जरूरी है.
भाजपा ने कहा, ‘इसे ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा नड्डा ने निर्णय लिया है कि प्रधानमंत्री सहित सभी केंद्रीय नेताओं की पश्चिम बंगाल में छोटी जन-सभाएं ही आयोजित होंगी, जिसमें 500 से अधिक व्यक्तियों की उपस्थिति नहीं होगी.’
पार्टी ने यह निर्णय लिया है कि ये छोटी जनसभाएं भी खुले स्थान में एवं सभी कोविड-19 दिशा-निर्देशों के अनुरूप होंगी.
पार्टी ने इस चुनावी राज्य में छह करोड़ मास्क और सैनिटाइजर वितरण का लक्ष्य भी रखा है.
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पश्चिम बंगाल में अपनी सभी चुनावी रैलियां स्थगित कर दी थीं. उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से भी ऐसा करने का आग्रह किया था ताकि कोरोना संक्रमण को और अधिक फैलने से रोका जा सके.
तृणमूल कांग्रेस ने भी कहा है कि उसके नेता अब छोटी जनसभाएं करेंगे. पार्टी ने कहा कि जिन क्षेत्रों में मतदान बाकी है, वहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का भाषण भी छोटा कर दिया जाएगा.
सेन ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार के कल्याणकारी कार्यक्रमों की सराहना की, खासतौर पर लड़कियों के लिए चलाए गए कार्यक्रम, ग्रामीण ढांचे के विस्तार और खाद्य सुरक्षा के आश्वासन के लिए भी सरकार की सराहना की, लेकिन उन्होंने राज्य में भ्रष्टाचार के मुद्दे से निपटने पर जोर दिया.
उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई/भाषा को दिए साक्षात्कार में इस बात पर अफसोस जताया कि पहचान की राजनीति ने बंगाल के राजनीतिक परिदृश्य में अपना सिर उठा लिया है और उन्होंने सांप्रदायिक विभेद के लिए हिंदुत्व के ध्वजवाहकों को जिम्मेदार ठहराया.
सेन ने कहा, ‘अगर बंगाल में स्थानीय नेताओं के बजाय केंद्रीय नेताओं का शासन आता है तो इससे भारत में उन हाथों में सत्ता की पकड़ और मजबूत होगी, जिनकी अल्पसंख्यकों के अधिकारों की अवधारणा बेहद सीमित है और जिनका आर्थिक नीतियों और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में रिकॉर्ड ‘बेहद दोषपूर्ण’ है.’
उन्होंने जोर दे कर कहा कि बंगाल को एकता चाहिए, विभाजन नहीं.
राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस द्वारा शुरू किए गए ‘बाहरी-भीतरी’ के मुद्दे पर उन्होंने कहा, ‘यह वास्तव में बहुत खराब बात है’ क्योंकि बाहरियों के लिए सहिष्णुता रखना बंगाल का इतिहास रहा है.
कोलकाता: भाजपा ने सोमवार को निर्वाचन आयोग से शिकायत की कि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने एक बयान दिया है, जो पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए तैनात केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) में ‘विद्रोह’ पैदा करने के प्रयास के समान है.
भगवा दल ने एक समाचार पत्र में प्रकाशित बनर्जी की टिप्पणी को लेकर उन पर आरोप लगाते हुए निर्वाचन आयोग से उनके खिलाफ कार्रवाई करने की अपील की.
भाजपा ने दावा किया कि मुख्यमंत्री ने नदिया जिले में एक जनसभा में सीएपीएफ जवानों से ‘भाजपा के आदेश पर गोलियां नहीं चलाने’ की अपील की और कहा कि ‘वे आज हैं कल नहीं होंगे.’
भाजपा ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी को दी गई शिकायत में आरोप लगाया कि उनका बयान निर्वाचन आयोग की शक्तियों पर आक्षेप लगाने वाला है.
भाजपा ने कहा, ‘चुनाव ड्यूटी के दौरान सीएपीएफ जवानों आयोग की निगरानी में काम करते हैं और उनके आला अधिकारी जमीन पर काम करते हैं.’
चुनाव लड़ रही किसी भी पार्टी के पास बलों की तैनाती का कोई अधिकार नहीं है. बनर्जी के कथित बयान को लेकर भाजपा की शिकायत में कहा गया है, ‘यह दबी जुबान में विद्रोह भड़काने के समान है.’
बंगाल को अपनी बागडोर केंद्रीय नेताओं के हाथों में नहीं देनी चाहिए: अमर्त्य सेन
कोलकाता: नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा है कि पश्चिम बंगाल को अपनी बागडोर स्थानीय नेताओं के बजाय केंद्रीय नेताओं को सौंप कर ‘राष्ट्रीय पतन’ का हिस्सा नहीं बनना चाहिए, क्योंकि इससे उन हाथों में सत्ता की पकड़ मजबूत होगी, जिनका आर्थिक नीतियों और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में रिकॉर्ड ‘बेहद खराब’ है.भाजपा ने निर्वाचन आयोग से ममता बनर्जी के खिलाफ कार्रवाई का आग्रह किया
एमएनएम ने स्ट्रॉन्ग रूम परिसर में ‘रहस्यमय’ वाहनों और व्यक्तियों के होने की शिकायत की
चेन्नई: मक्कल निधि मय्यम (एमएनएम) प्रमुख कमल हासन ने मंगलवार को आरोप लगाया कि तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के लिए 6 अप्रैल को हुए मतदान के बाद जहां ईवीएम सुरक्षित रखे गए हैं, उस परिसर और स्ट्रॉन्ग रूम में कई अनियमितताएं हो रही हैं. साथ ही पार्टी ने निर्वाचन आयोग से इस संबंध में कार्रवाई करने की मांग की. (समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)