चीनी सैनिकों के बारे में मेरे प्रश्न को राज्यसभा सचिवालय ने नहीं दी मंज़ूरी: सुब्रमण्यम स्वामी

भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने पूछा था कि क्या चीनी सैनिकों ने लद्दाख में एलएसी को पार किया था. स्वामी ने कहा कि यह त्रासदीपूर्ण नहीं हास्यास्पद है कि इस सवाल पर कहा गया कि इसे राष्ट्रीय हित में अनुमति नहीं दी जा सकती. वहीं, राज्यसभा सचिवालय ने कहा कि वह संवेदनशील मुद्दों पर संबंधित मंत्रालय की सिफ़ारिश के अनुरूप क़दम लेता है.

भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने पूछा था कि क्या चीनी सैनिकों ने लद्दाख में एलएसी को पार किया था. स्वामी ने कहा कि यह त्रासदीपूर्ण नहीं हास्यास्पद है कि इस सवाल पर कहा गया कि इसे राष्ट्रीय हित में अनुमति नहीं दी जा सकती. वहीं, राज्यसभा सचिवालय ने कहा कि वह संवेदनशील मुद्दों पर संबंधित मंत्रालय की सिफ़ारिश के अनुरूप क़दम लेता है.

New Delhi: BJP MP Subramanian Swamy speaks to media during the ongoing budget-session iin New Delhi on Wednesday. PTI Photo by Kamal Kishore (PTI2_7_2018_000148B)

सुब्रमण्यम स्वामी. (फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: राज्यसभा सदस्य एवं भारतीय जनता पार्टी के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने बीते बुधवार को दावा किया कि राज्यसभा सचिवालय ने उनके एक प्रश्न को राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए अनुमति नहीं दी. उनके अनुसार इस प्रश्न में यह पूछा गया था कि क्या चीनी सैनिकों ने लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को पार किया था?

राज्यसभा सचिवालय ने कहा कि जब संवेदनशील मामला शामिल रहता है तो वह संबंधित मंत्रालय की सिफारिश के अनुरूप कदम उठाता है.

पिछले साल जून में दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प के बाद से विपक्ष भी इस मुद्दे को उठाता रहा है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल सर्वदलीय बैठक में कहा था कि किसी ने भी भारत में प्रवेश नहीं किया या उसकी सीमा पर कब्जा नहीं किया.

स्वामी ने एक ट्वीट में कहा, ‘यह त्रासदीपूर्ण नहीं हास्यास्पद है कि राज्यसभा ने मेरे इस सवाल पर आज मुझे सूचित किया कि इस प्रश्न को राष्ट्रीय हित में अनुमति नहीं दी जा सकती है कि क्या चीन ने एलएसी को पार किया है?’

राज्यसभा सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बारे में कहा, ‘यदि संवेदनशील मामला शामिल हो तो सचिवालय संबंधित मंत्रालय की सिफारिशों के अनुरूप चलता है.’ उन्होंने कहा कि यह लंबे समय से परंपरा रही है.

ये पहला मौका नहीं है जब राज्यसभा सचिवालय या सरकार ने संसद में सवालों को स्वीकार करने से इनकार किया है.

इससे पहले मानसून सत्र के दौरान अगस्त महीने में केंद्र सरकार ने राज्यसभा सचिवालय को पत्र लिखकर कहा था कि भाकपा सांसद बिनॉय विश्वम द्वारा पेगासस मामले पर पूछे गए प्रश्न का जवाब नहीं दिया जाना चाहिए. मोदी सरकार ने दलील दी थी कि चूंकि ये मामले अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं, इसलिए इस पर जवाब नहीं दिया जा सकता है.

इसके अलावा केंद्रीय कानून मंत्रालय ने इसी साल 15 जुलाई को राज्यसभा सचिवालय को एक पत्र लिखकर कहा था कि तृणमूल कांग्रेस के सांसद शांता छेत्री द्वारा ‘लोकतंत्र सूचकांक में भारत की स्थिति’ पर पूछे गए एक प्रश्न को अस्वीकार कर दिया जाए, जिसका उत्तर 22 जुलाई को दिया जाना था.

छेत्री ने इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (ईआईयू- (इकोनॉमिस्ट समूह की अनुसंधान एवं विश्लेषण विभाग)) के डेमोक्रेसी इंडेक्स (Democracy Index) में भारत की स्थिति पर सवाल उठाया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस सूचकांक में भारत को ‘त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र’ की श्रेणी में रखा था.

कानून मंत्रालय ने इसे लेकर तर्क दिया था कि ये ‘बेहद संवेदनशील प्रकृति’ का है, इसलिए इसे अस्वीकार किया जाए.

हाल ही में कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल के उस सवाल को संसद में पूछे जाने वाले सवालों की सूची से हटा दिया गया था, जिसमें उन्होंने पूछा था कि क्या किसान आंदोलन का समर्थन करने वाले अप्रवासी भारतीयों (एनआरआई) को वित्तीय सहायता रोकने के लिए कहा गया था.