दिल्ली पुलिस ने आंदोलनरत किसानों को हटने की चेतावनी वाले पोस्टर लगाए, किसानों ने निंदा की

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ पिछले क़रीब तीन महीने से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर किसानों के आंदोलन का नेतृत्व सामूहिक निकाय ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ की ओर से कहा गया है कि वह पुलिस के इस क़दम का विरोध करता है, क्योंकि किसान अपने संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं. मोर्चा ने किसानों से शांतिपूर्वक अपना प्रदर्शन जारी रखने की अपील की.

कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ पिछले क़रीब तीन महीने से दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर किसानों के आंदोलन का नेतृत्व सामूहिक निकाय ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ की ओर से कहा गया है कि वह पुलिस के इस क़दम का विरोध करता है, क्योंकि किसान अपने संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं. मोर्चा ने किसानों से शांतिपूर्वक अपना प्रदर्शन जारी रखने की अपील की.

(फोटो साभार: ट्विटर)

(फोटो साभार: ट्विटर)

नई दिल्ली: केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ करीब तीन महीने से प्रदर्शन कर रहे किसान संघों ने राष्ट्रीय राजधानी के टिकरी बॉर्डर स्थित प्रदर्शन स्थल पर दिल्ली पुलिस की तरफ से लगाए गए कथित चेतावनी वाले पोस्टरों पर आपत्ति जताई है.

पुलिस ने हालांकि दावा किया कि ये पोस्टर नए नहीं हैं और इनमें प्रदर्शनकारियों को सिर्फ यह सूचित किया गया है कि उन्हें राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश की इजाजत नहीं दी जाएगी.

किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे सामूहिक निकाय ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने एक बयान में कहा कि वह पुलिस के कदम का विरोध करता है, क्योंकि प्रदर्शनकारी अपने संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं और किसानों से शांतिपूर्वक अपना प्रदर्शन जारी रखने की अपील की.

हजारों की संख्या में किसान करीब 90 दिनों से दिल्ली के तीन सीमा बिंदुओं- सिंघू, टिकरी और गाजीपुर- पर डटे हुए हैं और तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने और अपनी उपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं. इन किसानों में से अधिकतर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हैं.

मोर्चे ने एक बयान में कहा, ‘दिल्ली पुलिस ने टिकरी बॉर्डर के प्रदर्शन स्थल पर कुछ पोस्टर लगाए हैं, जिसमें किसानों को चेतावनी दी गई है कि उन्हें यह इलाका खाली करना होगा. ये पोस्टर अप्रासंगिक हैं, क्योंकि किसान अपने संवैधानिक अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं.’

बयान में कहा गया, ‘हम इस तरह की धमकियों और चेतावनियों के जरिये प्रदर्शन को खत्म करने की साजिशों का विरोध करेंगे.’

पोस्टरों में पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों को इलाका खाली करने के लिए कोई समयसीमा नहीं दी है.

वहीं दिल्ली पुलिस इसे नियमित प्रक्रिया बता रही है.

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘प्रदर्शन शुरू होने पर सीमावर्ती इलाकों में यह पोस्टर चिपकाए गए थे. यह एक नियमित कवायद है. पुलिस ने पोस्टरों के जरिये उन्हें यह बताया है कि वे हरियाणा के न्यायाधिकार क्षेत्र में हैं और उन्हें गैरकानूनी तरीके से राष्ट्रीय राजधानी में आने की इजाजत नहीं दी जाएगी.’

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली पुलिस द्वारा लगाए गए चेतावनी वाले पोस्टरों का शीर्षक वैधानिक चेतावनी है और इस पर हिंदी और पंजाबी भाषा में चेतावनी लिखी गई है.

चेतावनी के अनुसार, ‘आप सभी का जमावड़ा अवैध माना गया है. आपको यहां से हटने की चेतावनी दी जा रही है, अन्यथा आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.’

मालूम हो कि किसान संघों के आह्वान पर 26 जनवरी को आयोजित ‘ट्रैक्टर परेड’ के दौरान हजारों प्रदर्शनकारियों और पुलिस में हिंसक झड़प हुई थी. इस दौरान सैकड़ों पुलिसकर्मी घायल हो गए थे.

इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में एडिशनल डीसीपी (आउटर) ने बताया कि ये पोस्टर 26 जनवरी को हुई हिंसा के बाद लगाए गए हैं.

उन्होंने कहा, ‘हम उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने जा रहे हैं. हमने सीमा के पास हिंसा के बाद एहतियात के तौर पर प्रदर्शनकारियों के लिए विभिन्न स्थानों पर ये पोस्टर लगाए हैं. अगर किसान दोबारा कानून तोड़ते हैं, तो उन्हें जानना चाहिए कि ऐसा करना गैरकानूनी है.’

भारतीय किसान यूनियन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष शिंगार सिंह मान ने बताया, ‘मैंने इस नोटिस (पोस्टर) को टिकरी बॉर्डर पर जहां दिल्ली पुलिस का नाका है, वहां देखा है. यह राष्ट्रीय राजमार्ग के एक पिलर पर है. यह अन्य जगहों पर भी हो सकता है. हालांकि हम परेशान नहीं हैं; किसान दृढ़ हैं और हम यहां से हिलेंगे नहीं. हमारा धरना कानून वापस होने तक जारी रहेगा.’

उन्होंने आगे कहा, ‘यह नोटिस कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के उस बयान के बाद सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भीड़ जुटा लेने से कानून वापस नहीं हो जाएंगे. यह हैरान करने वाला है कि उन्होंने इस भीड़ के साथ 12 बार बैठक की और अराजनीतिक धरना तथा शांति बनाए रखने के लिए हमें बधाई भी दी थी. हमारी बैठक के दौरान वह इसे किसान आंदोलन कहते थे और अब हम एक भीड़ हैं.’

संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य और क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष डॉ. दर्शन पाल ने कहा, ‘इस कार्रवाई की हम मजबूती के साथ निंदा करते हैं. किसान सीमा पर पिछले 90 दिनों से शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं और जब तक हमारी मांगें मान नहीं ली जातीं हम यह आंदोलन जारी रखेंगे. यहां तक कि हम दिल्ली के अंदर नहीं बैठे हैं.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)