मणिपुर: सरकार ने सांप्रदायिक तनाव का हवाला देते हुए राज्य के इतिहास पर लिखी किताब बैन की

मणिपुर सरकार ने दिवंगत ब्रिगेडियर सुशील कुमार शर्मा की किताब 'द कॉम्प्लेक्सिटी कॉल्ड मणिपुर: रूट्स, परसेप्शन्स एंड रियलिटी' में दर्ज जानकारियों को भ्रामक बताते हुए इस पर प्रतिबंध लगा दिया है. किताब में मणिपुर रियासत के भारत के विलय का इतिहास बताया गया है. The post मणिपुर: सरकार ने सांप्रदायिक तनाव का हवाला देते हुए राज्य के इतिहास पर लिखी किताब बैन की appeared first on The Wire - Hindi.

मणिपुर सरकार ने दिवंगत ब्रिगेडियर सुशील कुमार शर्मा की किताब ‘द कॉम्प्लेक्सिटी कॉल्ड मणिपुर: रूट्स, परसेप्शन्स एंड रियलिटी’ में दर्ज जानकारियों को भ्रामक बताते हुए इस पर प्रतिबंध लगा दिया है. किताब में मणिपुर रियासत के भारत के विलय का इतिहास बताया गया है.

(फोटो साभार: सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: मणिपुर सरकार ने सोमवार को द कॉम्प्लेक्सिटी कॉल्ड मणिपुर: रूट्स, परसेप्शन्स एंड रियलिटी’ नाम की किताब पर यह कहते हुए प्रतिबंध लगा दिया कि इसमें ‘पूरी तरह से भ्रामक और निंदनीय’ सामग्री है जो सांप्रदायिक वैमनस्य को भड़का सकती है.

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, दिवंगत ब्रिगेडियर सुशील कुमार शर्मा की यह किताब सेवानिवृत्त सीआरपीएफ अधिकारी की पीएचडी थीसिस पर आधारित थी, जिसमें दावा किया गया था कि मणिपुर की रियासत में भारत के विलय के समय घाटी क्षेत्र का केवल 700 वर्ग मील शामिल था, जिसका अर्थ था कि पहाड़ी क्षेत्र- जो नगा, कुकी और अन्य जनजातियों द्वारा बसाए गए हैं- इसका हिस्सा नहीं थे.

गृह विभाग की ओर से जारी एक आदेश में कहा गया है, ‘मणिपुर मर्जर एग्रीमेंट’ से जुड़ा इतिहास राज्य के मूल निवासियों के लिए बेहद संवेदनशील और भावनात्मक विषय है. यह जानकारी राज्य में रहने वाले विभिन्न समुदायों के बीच शांति और सद्भाव भंग कर सकती है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और अखंडता प्रभावित हो सकती है.

इसने स्पष्ट किया कि वाइवा बुक्स द्वारा प्रकाशित किताब में लिखी जानकारी 1950 में ‘भारतीय राज्यों पर श्वेत पत्र’ शीर्षक के तहत राज्य मंत्रालय (अब गृह मंत्रालय) द्वारा प्रकाशित राजपत्र के विपरीत थी. आदेश में कहा गया है कि 15 अक्टूबर, 1949 को विलय के समय समझौते में मणिपुर का क्षेत्रफल 8,620 वर्ग मील था और कुल आबादी 5,12,000 थी.

ज्ञात हो कि कुछ महीनों पहले इस किताब को लेकर विवाद शुरू हुआ था, जब स्थानीय संगठनों ने इस पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही लेखक और उनके शोध गाइड, जिसमें एक सेवानिवृत्त मणिपुर विश्वविद्यालय के रिटायर्ड प्रोफेसर भी शामिल हैं, से माफी मांगने को कहा था.

आदेश में कहा गया है कि काफी ‘भ्रामक, तथ्यात्मक रूप से गलत जानकारी और निंदनीय बयान’ वाली किताब के कारण घाटी और पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले समुदायों के बीच गलतफहमी और तनाव पैदा होगा, जिससे हिंसा होगी. आदेश में कहा गया है कि पुस्तक को राज्य सरकार को जब्त कर लिया जाना चाहिए.

किताब को लेकर मई महीने से विवाद हो रहा था और सितंबर महीने में राज्य की भाजपा सरकार ने आदेश दिया था कि अब से राज्य के इतिहास, संस्कृति, परंपरा और भूगोल पर सभी किताबों के प्रकाशन से पहले राज्य द्वारा नियुक्त समिति से पूर्व-अनुमोदन लेना अनिवार्य होगा.

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