मद्रास हाईकोर्ट ने पुलिस अधिकारी से पूछा- वरिष्ठ ने कहा तो क्या हत्या कर देंगे?

कोर्ट ने तमिलनाडु के विल्लुपुरम ज़िले के निलंबित एसपी डी. कन्नन को एक अधीनस्थ अधिकारी के यौन उत्पीड़न के मामले से मुक्त करने की अपील वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि अगर कोई वरिष्ठ अधिकारी ऐसे आरोपों का सामना करता है, तो लोगों का विभाग पर भरोसा कैसे क़ायम रहेगा. केवल 10 प्रतिशत पुलिस अधिकारी ही अपने विवेक के अनुसार काम कर रहे हैं.

कोर्ट ने तमिलनाडु के विल्लुपुरम ज़िले के निलंबित एसपी डी. कन्नन को एक अधीनस्थ अधिकारी के यौन उत्पीड़न के मामले से मुक्त करने की अपील वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि अगर कोई वरिष्ठ अधिकारी ऐसे आरोपों का सामना करता है, तो लोगों का विभाग पर भरोसा कैसे क़ायम रहेगा. केवल 10 प्रतिशत पुलिस अधिकारी ही अपने विवेक के अनुसार काम कर रहे हैं.

मद्रास हाईकोर्ट. (फोटो साभार: फेसबुक/@Chennaiungalkaiyil)

नई दिल्ली: मद्रास हाईकोर्ट ने बीते बुधवार को सवाल किया कि क्या कोई पुलिस अधिकारी अपने वरिष्ठ के कहने पर किसी की हत्या कर सकता है. इस पर अदालत ने कहा कि केवल भगवान ही पुलिस विभाग को बचा सकते हैं.

तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले के निलंबित एसपी डी. कन्नन को यौन उत्पीड़न के मामले से मुक्त करने की अपील वाली आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पेश किये जाने पर जस्टिस पी. वेलमुरुगन ने कहा कि केवल भगवान ही पुलिस विभाग को बचा सकते हैं.

इस मामले में कन्नन को दूसरे आरोपी के रूप में दर्शाया गया है. पहला आरोपी एक निलंबित विशेष डीजीपी है, जिस पर एक अधीनस्थ महिला आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) अधिकारी का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया गया है.

न्यायाधीश ने यह भी कहा, ‘शर्म की बात है कि पुलिस विभाग में महिलाओं के साथ उस सम्मान के साथ व्यवहार नहीं किया जाता, जिसकी वे हकदार हैं.’

कन्नन के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने उस कार को रोका था, जिसमें बैठकर महिला एसपी 22 फरवरी 2021 को अपने वरिष्ठ के खिलाफ राज्य पुलिस प्रमुख के पास शिकायत दर्ज कराने जा रही थीं.

बीते बुधवार को इसे लेकर जब याचिका पेश की गई, तो कन्नन के वकील ने अदालत से कहा कि उनके मुवक्किल ने अपने वरिष्ठ के निर्देशों का पालन किया था. उन्होंने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों की अवहेलना अवज्ञा के समान होती है.

इस पर जस्टिस वेलमुरुगन ने पूछा कि अगर कन्नन को हत्या करने के लिए कहा जाए तो वह ऐसा करेंगे. केवल वैध निर्देशों का पालन किया जा सकता है.

न्यायाधीश ने कहा कि अगर कोई वरिष्ठ अधिकारी ऐसे आरोपों का सामना करता है, तो लोगों का विभाग पर भरोसा कैसे कायम रहेगा. केवल 10 प्रतिशत पुलिस अधिकारी ही अपने विवेक के अनुसार काम कर रहे हैं.

उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाएं सामने आना विभाग के लिए शर्म की बात है.

वकील ने याचिका खारिज होने की संभावना को देखते हुए अदालत से इसे वापस लेने की अनुमति मांगी. न्यायाधीश ने इसे खारिज करते हुए वापस लेने का निर्देश दिया.