एलजी ने ऑक्सीजन की कमी से मौतों की जांच के लिए पैनल बनाने के प्रस्ताव को ठुकराया: मनीष सिसोदिया

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि केंद्र सरकार ने ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुईं मौतों की जांच के लिए कमेटी बनाने का प्रस्ताव फिर से नामंज़ूर कर दिया है. हालांकि, उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने उपमुख्यमंत्री के बयान को भ्रामक बताते हुए कहा कि मामले की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन पहले ही किया जा चुका है. 

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि केंद्र सरकार ने ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुईं मौतों की जांच के लिए कमेटी बनाने का प्रस्ताव फिर से नामंज़ूर कर दिया है. हालांकि, उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने उपमुख्यमंत्री के बयान को भ्रामक बताते हुए कहा कि मामले की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन पहले ही किया जा चुका है.

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने शुक्रवार को कहा कि उपराज्यपाल अनिल बैजल ने राष्ट्रीय राजधानी में ऑक्सीजन की कमी के कारण हुईं मौतों की जांच के लिए एक पैनल बनाने के दिल्ली सरकार के प्रस्ताव को फिर से खारिज कर दिया है.

हालांकि, उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने उपमुख्यमंत्री के बयान को भ्रामक बताते हुए कहा कि मामले की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन पहले ही किया जा चुका है.

दिल्ली में कोविड-19 प्रबंधन के लिए नोडल अधिकारी सिसोदिया ने ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कोई भी इस बात से इनकार नहीं कर सकता है कि दिल्ली में अप्रैल और मई में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन संकट का सामना करना पड़ा था और न ही इस बात से इनकार किया जा सकता है कि राष्ट्रीय राजधानी में लोगों की मौत ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई.

उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘हमने ऑक्सीजन की कमी के कारण हुईं मौतों की जांच को लेकर एक पैनल के गठन के लिए एक फाइल फिर से भेजी थी. उपराज्यपाल कह रहे हैं कि इसकी कोई जरूरत नहीं है.’

उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘एक तरफ केंद्र राज्यों से पूछ रहा है कि ऑक्सीजन की कमी से कितने लोगों की मौत हुई और दूसरी तरफ आप हमें ऐसी मौतों की जांच नहीं करने दे रहे हैं.’

सिसोदिया ने सवाल किया, ‘ऐसे में राज्य कैसे सूचना दे पाएंगे?’

सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा, ‘केंद्र सरकार ने ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुई मौतों की जांच के लिए कमेटी बनाने का प्रस्ताव फिर से नामंजूर कर दिया है. एक तरफ तो राज्यों से ऑक्सीजन की कमी से हुई मौत का आंकड़ा मांगने का ड्रामा करते हैं, दूसरी तरफ़ जांच कमेटी को रुकवा देते हैं. आखिर क्या छिपाना चाहती है केंद्र सरकार?’

उन्होंने कहा, ‘यानी केंद्र चाहता है कि हम लिखित में दें कि ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई है. यह बहुत बड़ा झूठ होगा. अपनों को खोने वाले परिवारों के साथ यह क्रूर मजाक होगा. आज केंद्र सरकार जांच से परहेज कर तथ्यों को छिपाने की कोशिश कर रही है.’

सिसोदिया ने दावा किया कि अप्रैल और मई में चिकित्सकीय ऑक्सीजन के कुप्रबंधन के लिए केंद्र जिम्मेदार था और यह जान-बूझकर किया गया था या गलती थी, यह जांच का विषय है.

सिसोदिया ने कहा कि केंद्र को यह स्वीकार करना होगा कि वह ऑक्सीजन संकट के लिए जिम्मेदार है.

उपमुख्यमंत्री ने पिछले हफ्ते केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया को पत्र लिखा था कि जांच के बिना यह पता लगाना मुश्किल है कि क्या कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत हुई थी और दिल्ली सरकार विशेषज्ञ पैनल के गठन के लिए उपराज्यपाल से नए सिरे से मंजूरी मांग रही है.

हालांकि, उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि सिसोदिया द्वारा दिए गए बयान भ्रामक है और न तो उपराज्यपाल और न ही केंद्र सरकार ने कहा है कि ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई मौतों की जांच नहीं की जानी चाहिए.

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर गठित एक उच्चस्तरीय समिति पहले से ही इस मामले को देख रही है. समिति ने एक अंतरिम रिपोर्ट जमा कर दी है और अंतिम रिपोर्ट पर काम कर रही है.

बता दें बीते जून महीने में एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया के नेतृत्व में उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित पांच सदस्यीय समिति की अंतरिम रिपोर्ट को लेकर काफी विवाद हुआ था. रिपोर्ट में कहा गया था कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर के दौरान दिल्ली की ऑक्सीजन आवश्यकता को चार गुना ‘बढ़ा-चढ़ाकर’ बताया गया.

सूत्र ने कहा कि उपराज्यपाल और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने दोहराया है कि उच्चस्तरीय समिति को अपना काम करने की अनुमति है.

सूत्र ने कहा, ‘इसी उद्देश्य के लिए दूसरी समिति गठित करने से भ्रम ही पैदा होगा.’ साथ ही कहा कि दिल्ली सरकार को भी इस मामले में अदालतों के निर्देशों का पालन करने की सलाह दी गई है.

शुक्रवार शाम में जारी एक बयान में सिसोदिया ने कहा, ‘यह स्पष्ट है कि उपराज्यपाल का कार्यालय, केंद्र के दबाव में दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी के कारण होने वाली मौतों की किसी भी जांच को रोकने की कोशिश कर रहा है.’

दिल्ली सरकार ने जून में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी के कारण होने वाली मौतों की जांच के लिए चार सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया था. उपराज्यपाल ने समिति को खारिज कर दिया था.

बता दें कि अप्रैल और मई में दिल्ली में कोरोना की दूसरी लहर चरम पर थी, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई थी. राजधानी के कई अस्पतालों में बड़े पैमाने पर ऑक्सीजन की किल्लत थी, जिससे बड़ी संख्या में मौतें हुई थीं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)