झारखंड: सरकारी योजनाओं के बारे में लिखने वाले पत्रकारों को 15,000 रुपये देगी सरकार

01:42 PM Sep 19, 2019 | द वायर स्टाफ

राज्य के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की ओर से राज्य की कल्याणकारी योजनाओं पर लेख लिखने के लिए इच्छुक पत्रकारों से आवेदन मांगे गए. चार लेख लिखने वाले 30 चुनिंदा पत्रकारों को 15,000 रुपये दिए जाएंगे. विभाग ने बताया कि बड़ी संख्या में पत्रकारों से आवेदन मिले हैं.

झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास (फोटोः पीटीआई)

नई दिल्लीः झारखंड की भाजपा सरकार ने पत्रकारों को लुभाने के लिए एक नई योजना शुरू की है, जिसके तहत राज्य की कल्याणकारी योजनाओं को कवर करने वाले प्रिंट और टीवी पत्रकारों को राज्य की भाजपा सरकार 15,000 रुपये देगी.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, इस संबंध में झारखंड सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की ओर से शनिवार को समाचार पत्र में विज्ञापन प्रकाशित किया गया, जिसमें राज्य की कल्याणकारी योजनाओं पर लेख लिखने वाले इच्छुक पत्रकारों से आवेदन मांगे गए.

इस योजना के तहत पत्रकारों की एक समिति के जरिए प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के 30 पत्रकारों का चुनाव किया जाएगा.

सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के सूत्रों के मुताबिक, सरकार के कार्यक्रमों पर चार लेख लिखने वाले 30 चुनिंदा पत्रकारों को 15,000 रुपये दिए जाएंगे. इस तरह इन 120 लेखों में से 25 लेखों को चुनकर बुकलेट का रूप दिया जाएगा. बुकलेट के लिए जिन 25 पत्रकारों के लेख चुने जाएंगे, उन सभी को अतिरिक्त 5,000 रुपये भी मिलेंगे.

यह पूरी प्रक्रिया 18 सितंबर से पहले दो दिन के भीतर पूरी की जानी है.

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, चुनाव आयोग जल्द ही झारखंड सहित कई राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है. झारखंड में विधानसभा चुनाव इस साल के अंत से पहले हो जाएंगे.

हालांकि, विपक्ष इसकी आलोचना कर रहा है. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि रघुबर दास सरकार ने नैतिकता के सभी नियमों का उल्लंघन कर दिया है.

राज्य की विपक्षी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा का कहना है कि पत्रकारों को लेख लिखने के लिए पैसों की पेशकश की गई है. पार्टी ने मांग की है कि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए.

झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर कहा, ‘राज्य की सत्तारूढ़ भाजपा सरकार, इसके अधिकारियों और हमारे सम्मानीय मुख्यमंत्री रघुबर दास ने नैतिकता के सभी मानदंडों का उल्लंघन किया है. सरकार ने पत्रकारों को विकास के बारे में लिखने और इससे पैसे कमाने के लिए सार्वजनिक विज्ञापन दिया है. प्रेस काउंसिल और सूचना प्रसारण मंत्रालय को इस पर संज्ञान लेना चाहिए.’

यह पूछे जाने पर कि क्या यह विज्ञापन पेड न्यूज नहीं है? इस पर राज्य के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के उपनिदेशक अजय नाथ झा ने कहा, ‘यह पेड न्यूज नहीं है. सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के बारे में लिखने वाले पत्रकारों से आवेदन मांगे गए हैं. लेख योजनाओं के सफल होने या उसकी आलोचना पर आधारित होने चाहिए. हम हमारी परियोजनाओं के उचित एवं स्वतंत्र आकलन चाहिए.’

झा ने बताया कि विभाग को बड़ी संख्या में पत्रकारों से आवेदन मिले हैं.

मंत्रिपरिषद ने 11 सितंबर को अपनी आखिरी बैठक में मुख्यमंत्री पत्रकार जीवन बीमा योजना को मंजूरी दी थी. इस नई योजना के तहत झारखंड सरकार योजना से लाभ उठाने वाले मान्यता प्राप्त पत्रकारों की ओर से बीमा प्रीमियम का भुगतान करेंगे.

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