कोविड-19 की चुनौतियों से निपटने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय को ‘जाग’ जाना चाहिए: आईएमए

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने एक बयान जारी कर आरोप लगाया कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 की दूसरी लहर से निपटने के लिए उपयुक्त कदम नहीं उठाए. मंत्रालय की ढिलाई और अनुचित कदमों को लेकर वह बिल्कुल हैरान है. साथ ही संगठन ने कहा कि मंत्रालय ने पेशवरों के सुझावों को कचरे के डिब्बे में फेंक दिया है.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने एक बयान जारी कर आरोप लगाया कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 की दूसरी लहर से निपटने के लिए उपयुक्त कदम नहीं उठाए. मंत्रालय की ढिलाई और अनुचित कदमों को लेकर वह बिल्कुल हैरान है. साथ ही संगठन ने कहा कि मंत्रालय ने पेशवरों के सुझावों को कचरे के डिब्बे में फेंक दिया है.

जीटीबी अस्पताल में भर्ती होने का इंतज़ार करता एक कोविड संक्रमित शख़्स. (फोटो: रॉयटर्स)

जीटीबी अस्पताल में भर्ती होने का इंतज़ार करता एक कोविड संक्रमित शख़्स. (फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्ली: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने शनिवार को कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को ‘जाग’ जाना चाहिए और कोविड-19 महामारी से पैदा हो रही चुनौतियों से निपटने के लिए कदम उठाना चाहिए.

डॉक्टरों के संगठन ने एक बयान में यह भी आरोप लगाया कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 की दूसरी लहर से निपटने के लिए उपयुक्त कदम नहीं उठाए.

बयान में कहा गया, ‘आईएमए मांग करता है कि स्वास्थ्य मंत्रालय को नींद से जाग जाना चाहिए और कोविड-19 महामारी के कारण बढ़ती जा रहीं चुनौतियों से निपटने के लिए कदम उठाना चाहिए.’’

बयान के अनुसार, ‘कोविड-19 महामारी की दूसरी खौफनाक लहर के कारण पैदा संकट से निपटने में स्वास्थ्य मंत्रालय की ढिलाई और अनुचित कदमों को लेकर आईएमए बिल्कुल चकित है.’

इसमें कहा गया कि आईएमए पिछले 20 दिनों से स्वास्थ्य ढांचा बेहतर करने और साजो-सामान तथा कर्मियों को फिर से तैयार करने के लिए पूर्ण और सुनियोजित राष्ट्रीय लॉकडाउन पर जोर दे रहा है.

एसोसिएशन ने आरोप लगाया है कि महामारी को लेकर लिए जा रहे निर्णयों का जमीनी स्तर से कोई लेना-देना नहीं है.

बयान में कहा गया है कि सामूहिक चेतना, सक्रिय तरह से लिए गए संज्ञान और आईएमए और अन्य पेशेवर सहयोगियों द्वारा किए गए अनुरोध कूड़े में डाल दिए गए हैं और अक्सर बिना जमीनी सच्चाई जाने निर्णय लिए जा रहे हैं.

इसमें आगे कहा गया है कि आईएमए कुछ राज्यों के 10 दिनों से 15 दिनों तक लॉकडाउन की बजाय पूर्व नियोजित राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की जरूरत पर जोर दे रहा है, ताकि स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे को फिर से बनाने के लिए समय मिल सके और सामग्री और मानव संसाधन दोनों की भी भरपाई हो सके.

चिकित्सा निकाय ने कहा कि लॉकडाउन वायरस के इस विनाशकारी प्रसार की श्रृंखला को तोड़ देगा. बयान में कहा गया है, ‘हालांकि, केंद्र सरकार ने लॉकडाउन को लागू करने से इनकार कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप हर दिन 4 लाख से अधिक नए मरीज बढ़ते गए और मध्यम से गंभीर मामलों की संख्या लगभग 40% तक बढ़ रही है.’

इसमें कहा गया , ‘रात के छिटपुट कर्फ्यू ने कोई भला नहीं किया है. जीवन अर्थवत्तावस्था से ज्यादा कीमती है.’

देश के अस्पतालों में मेडिकल ऑक्सीजन की भारी कमी के लिए केंद्र पर निशाना साधते हुए आईएमए ने कहा कि ऑक्सीजन का संकट हर दिन गहराता जा रहा है और ढेरों लोगों के इसकी असंतुलित आपूर्ति के कारण दम तोड़ रहे हैं, जिससे रोगियों और मेडिकल बिरादरी दोनों के बीच डर उत्पन्न हो रहा है.

आईएमए ने जोड़ा कि हालांकि उत्पादन पर्याप्त उत्पादन है, लेकिन अक्सर वितरण ठीक तरह से नहीं हो रहा है.

इसने आगे मांग की कि संपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल प्रशासन को भारतीय चिकित्सा सेवा (आईएमएस) कैडेटों के साथ फिर से जोड़ा जाएगा जो स्वास्थ्य देखभाल के प्रभावी निष्पादन के लिए तकनीकी और प्रशासनिक कौशल के साथ अच्छी तरह से वाकिफ हैं और साथ ही इस महामारी में काम करने के लिए एक नया एकीकृत मंत्रालय भी स्थापित करेंगे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)