मानवाधिकार समूहों ने कश्मीरी कार्यकर्ता ख़ुर्रम परवेज़ को रिहा करने की मांग की

कश्मीरी मानवाधिकार कार्यकर्ता ख़ुर्रम परवेज़ को टेरर फंडिंग मामले में एनआईए ने 22 नवंबर 2022 को गिरफ़्तार किया था. उनकी गिरफ़्तारी के एक साल पूरे होने पर मानवाधिकार समूहों ने कहा कि उनकी मनमानी हिरासत भारतीय अधिकारियों द्वारा जम्मू कश्मीर में मानवाधिकार रक्षकों, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ किए गए मानवाधिकारों के उल्लंघन की एक लंबी सूची का हिस्सा है. The post मानवाधिकार समूहों ने कश्मीरी कार्यकर्ता ख़ुर्रम परवेज़ को रिहा करने की मांग की appeared first on The Wire - Hindi.

कश्मीरी मानवाधिकार कार्यकर्ता ख़ुर्रम परवेज़ को टेरर फंडिंग मामले में एनआईए ने 22 नवंबर 2022 को गिरफ़्तार किया था. उनकी गिरफ़्तारी के एक साल पूरे होने पर मानवाधिकार समूहों ने कहा कि उनकी मनमानी हिरासत भारतीय अधिकारियों द्वारा जम्मू कश्मीर में मानवाधिकार रक्षकों, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ किए गए मानवाधिकारों के उल्लंघन की एक लंबी सूची का हिस्सा है.

खुर्रम परवेज. (फोटो साभार: Facebook/UN Geneva)

नई दिल्ली: एमनेस्टी इंटरनेशनल समेत दर्जनभर मानवाधिकार समूहों ने सोमवार को आतंकवाद का वित्तपोषण (Terror Funding) करने के मामले में गिरफ्तार कश्मीरी कार्यकर्ता खुर्रम परवेज को तुरंत रिहा करने की अपील की है.

परवेज भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की कई धाराओं के तहत एक साल से गिरफ्तार हैं.

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) गत 13 मई को परवेज समेत सात लोगों के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल करके कहा था कि आरोपी ने अहम प्रतिष्ठानों, सुरक्षा बलों के ठिकाने और उनके तैनाती के बारे में सूचना हासिल की थी.

एनआई ने कहा था कि आरोपी ने आधिकारिक गोपनीय दस्तावेज हासिल किए और पैसे के लिए इसे अपने लश्कर-ए-तैयबा के आकाओं तक कूट संप्रेषण के जरिये पहुंचाया.

एनआईए ने कहा कि इसकी जांच में खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान में बैठे लश्कर-ए-तैयबा के आकाओं ने आरोपी से मिलकर ओवर ग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) गिरोह चलाने की साजिश रची थी, ताकि भारत में आतंकी कृत्यों से जुड़ी गतिविधियों को बढ़ाया जा सके.

मानवाधिकार समूहों ने अपने संयुक्त बयान में कहा, ‘भारत सरकार को परवेज को तुरंत और बिना शर्त रिहा करना चाहिए और उनके खिलाफ सभी आरोपों को वापस लिया जाना चाहिए, क्योंकि ये आरोप उनके शांतिपूर्ण मानवाधिकार कार्य के प्रति प्रतिशोध हैं.’

बयान में कहा गया है कि परवेज मानवाधिकार की हिमायत करने में सबसे आगे रहे हैं और वे जम्मू कश्मीर समेत अन्य क्षेत्रों में 20 साल से अधिक समय से जांच में जुटे हैं.

बयान में कहा, ‘उनकी मनमानी हिरासत भारतीय अधिकारियों द्वारा जम्मू कश्मीर में मानवाधिकार रक्षकों, नागरिक समाज संगठनों, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं के खिलाफ किए गए मानवाधिकारों के उल्लंघन की एक लंबी सूची का हिस्सा है. इन उल्लंघनों के लिए जवाबदेही की दिशा में काम करने के बजाय अधिकारियों ने उन लोगों को निशाना बनाया और गिरफ्तार किया जिन्होंने इस तरह के उल्लंघनों के लिए न्याय मांगा.’

इस बयान पर हस्ताक्षर करने वाले संगठनों में एमनेस्टी इंटरनेशनल, एशियन फेडरेशन अगेंस्ट इनवॉलंटरी डिसअपीयरेंस, CIVICUS: वर्ल्ड अलायंस फॉर सिटीजन पार्टिसिपेशन, इंटरनेशनल कमीशन फॉर ज्यूरिस्ट्स, इंटरनेशनल फेडरेशन फॉर ह्यूमन राइट्स आदि शामिल हैं.

खुर्रम  परवेज जम्मू कश्मीर कोलिशन ऑफ सिविल सोसायटी (जेकेसीसीएस) के समन्वयक और एशियन फेडरेशन अगेंस्ट इनवॉलंटरी डिसअपीयरेंस (एएफएडी) के अध्यक्ष हैं.

बयान में दावा किया गया है कि परवेज को राजनीति से प्रेरित आतंकवाद और अन्य आरोपों के आधार पर गिरफ्तार किया गया.

मालूम हो कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने परवेज के श्रीनगर स्थित आवास और उनके ऑफिस पर छापेमारी के बाद गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत 22 नवंबर 2022 को उन्हें गिरफ्तार किया था. मार्च 2022 में एनआईए अदालत ने खुर्रम परवेज की हिरासत जांच के उद्देश्य से 50 दिनों के लिए और बढ़ा दी थी.

द वायर  को प्राप्त खुर्रम की गिरफ्तारी मेमो की कॉपी के मुताबिक, ‘यह मामला आईपीसी की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 121 (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ना), 121ए (भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने का साजिश के लिए सजा) और गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम 1967 की धारा 17 (आतंकी गतिविधियों के लिए धन जुटाना), 18 (साजिश के लिए सजा), 18बी (आतंकी कृत्य के लिए लोगों को भर्ती करना), 38 (आतंकी संगठन की सदस्यता से संबंधित अपराध ) और 40 (आतंकी संगठन के लिए धन जुटाने का अपराध) के संबंध में की गई.’

अलगाववादी गतिविधियों की फंडिंग से संबंधित मामले में अक्टूबर 2020 में खुर्रम का ऑफिस उन दस स्थानों में से जहां एनआईए ने छापेमारी की थी. इस दौरान श्रीनगर के अंग्रेजी समाचार पत्र ग्रेटर कश्मीर के कार्यालय पर भी छापेमारी की गई.

मालूम हो कि खुर्रम को 2006 में रिबुक ह्यूमन राइट्स अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. उन्हें 2016 में संयुक्त राष्ट्र अधिकार परिषद के सत्र में हिस्सा लेने के लिए स्विट्जरलैंड जाने से रोक दिया गया था, जिसके एक दिन बाद ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

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