राहुल गांधी ने गुजरात में कोविड-19 से तीन लाख मौतों का दावा किया, राज्य सरकार ने किया खंडन

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि गुजरात मॉडल की बहुत चर्चा होती है. हमने जिन परिवारों से बात की है, उनका कहना है कि कोविड के दौरान उन्हें अस्पताल में न तो बेड मिला और न ही ऑक्सीजन और वेंटिलेटर. वहीं गुजरात सरकार ने कहा है कि राज्य में लगभग 10 हज़ार लोगों की संक्रमण से मौत हुई है. सरकार ने गांधी के बयान को लोगों को गुमराह करने तथा राज्य की छवि ख़राब करने का प्रयास बताया.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि गुजरात मॉडल की बहुत चर्चा होती है. हमने जिन परिवारों से बात की है, उनका कहना है कि कोविड के दौरान उन्हें अस्पताल में न तो बेड मिला और न ही ऑक्सीजन और वेंटिलेटर. वहीं गुजरात सरकार ने कहा है कि राज्य में लगभग 10 हज़ार लोगों की संक्रमण से मौत हुई है. सरकार ने गांधी के बयान को लोगों को गुमराह करने तथा राज्य की छवि ख़राब करने का प्रयास बताया.

राहुल गांधी. (फोटो: पीटीआई)

अहमदाबाद/नई दिल्ली: गुजरात की भाजपा सरकार ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के इस दावे का जोरदार खंडन किया है कि राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण से अब तक करीब तीन लाख लोगों की मौत हो चुकी है.

कांग्रेस नेता ने बुधवार को ट्विटर पर एक वीडियो भी जारी किया था, जिसमें गुजरात में कोविड के कारण जान गंवाने वाले कई लोगों के परिजनों का पक्ष रखा गया है और दावा किया गया है कि राज्य में कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण करीब तीन लाख लोगों की मौत हुई.

गुजरात में कोविड-19 के चलते अपने प्रियजनों को खोने वाले परिवारों ने वीडियो में आरोप लगाया कि उन्हें सरकार से समय पर मदद नहीं मिली.

गांधी ने इस वीडियो के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के ‘गुजरात मॉडल’ पर सवाल खड़े किए और पूछा कि आखिर यह किस प्रकार की सरकार है?

‘कांग्रेस न्याय अभियान’ के तहत जारी किए गए 4.30 मिनट के वीडियो के साथ गांधी ने कहा, ‘गुजरात मॉडल की बहुत चर्चा होती है. हमने जिन परिवारों से बात की है, उनका कहना है कि कोविड के दौरान उन्हें अस्पताल में बेड नहीं मिला, ऑक्सीजन नहीं मिली और वेंटिलेटर भी नहीं मिला.’

कांग्रेस नेता ने दावा किया, ‘गुजरात की सरकार कहती है कि कोविड के कारण 10 हजार लोगों की मौत हुई. हमने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को घर-घर भेजा, जिससे यह पता चला कि कोविड से गुजरात में करीब तीन लाख लोगों की मौत हुई है. ‘गुजरात मॉडल’ वाले गुजरात में सिर्फ 10 हजार लोगों के परिवार को 50-50 हजार रुपये दिए जा रहे हैं, जबकि तीन लाख मृतकों के परिवारों को ज्यादा पैसा मिलना चाहिए.’

बता दें कि द वायर  ने बीते अगस्त माह में बताया था कि गुजरात में मृत्यु रजिस्टर का डेटा बताता है कि कोविड मौत का आधिकारिक आंकड़ा 27 गुना कम है.

रिपोर्ट के अनुसार, राज्य की 170 नगर पालिकाओं में से 68 के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला था कि मार्च 2020 और अप्रैल 2021 के बीच 16,892 ‘अतिरिक्त मौतें’ हुईं. यदि पूरे राज्य के लिए इसी आंकड़े को विस्तारित करें तो इसका अर्थ होगा कि गुजरात में कोविड से हुई वास्तविक मौतों का आंकड़ा कम से कम 2.81 लाख है.

बहरहाल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को कहा कि सरकार को कोविड-19 के कारण जान गंवाने वालों के सही आंकड़े बताने चाहिए और हर प्रभावित परिवार को चार लाख रुपये का मुआवजा देना चाहिए.

उन्होंने यह भी कहा कि प्रभावित परिवारों को चार लाख रुपये का मुआवजा दिलाने के लिए उनकी पार्टी सरकार पर दबाव बनाएगी.

उन्होंने सवाल किया, ‘जब लोगों की मदद करनी थी तब आप (सरकार) नहीं थे. जब उनको सहायता राशि की जरूरत है तो भी आप नहीं हैं. यह किस प्रकार की सरकार है?’

उन्होंने प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री के पास अपने लिए हवाई जहाज खरीदने के लिए 8500 करोड़ रुपये हैं, लेकिन कोविड से जिन लोगों की मृत्यु हुई, उनके परिवारों के लिए कोई पैसा नहीं है.’

राहुल गांधी ने आरोप लगाया, ‘कोविड के समय कुछ उद्योगपतियों को पैसे दिए गए, उनके कर माफ किए गए. दो-तीन उद्योगपतियों को पूरा हिंदुस्तान दिया जा रहा है लेकिन गरीब जनता को कोविड का मुआवजा नहीं दिया जा रहा है.’

उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी की दो मांगें हैं- कोविड मृतकों के सही आंकड़े बताए जाएं, अपने प्रियजनों को कोविड में खो चुके परिवारों को चार-चार लाख रुपये का मुआजवा दिया जाए. सरकार को चार लाख रुपये पीड़ित परिवारों को देना ही होगा. हम सरकार पर पूरा दबाव डालकर यह काम करवा के रहेंगे.’

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने सितंबर महीने में उच्चतम न्यायालय को बताया था कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने कोविड-19 से जान गंवा चुके लोगों के परिजन को 50-50 हजार रुपये की अनुग्रह राशि देने की सिफारिश की है.

केंद्र ने यह भी कहा था कि कोविड-19 राहत कार्य में शामिल रहने या महामारी से निपटने के लिए तैयारियों से जुड़ी गतिविधियों में शामिल रहने के चलते संक्रमण से जान गंवाने वालों के परिजनों को भी अनुग्रह राशि दी जाएगी.

गुजरात सरकार ने राहुल गांधी के बयान को राज्य की छवि खराब करने का प्रयास बताया

इधर, गुजरात सरकार ने कहा है कि राज्य में लगभग 10 हजार लोगों की संक्रमण से मौत हुई है. उसने गांधी के बयान को लोगों को गुमराह करने तथा राज्य की छवि खराब करने का प्रयास बताया.

गुजरात के एक मंत्री ने गांधी को चुनौती दी कि वे उन राज्यों पर भी समान रुख अपनाएं, जहां कांग्रेस अपने दम पर या गठबंधन में सत्ता में है और कहें कि उनके कोविड-19 मौत के आधिकारिक आंकड़े भी गढ़े गए हैं.

गांधी के आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए गुजरात के शिक्षा मंत्री और सरकार के प्रवक्ता जीतू वाघानी ने कहा कि महामारी के दौरान अन्य बीमारियों के कारण होने वाली मौतों और कोरोना वायरस से मरने वाले लोगों के बीच अंतर है.

वाघानी ने गांधीनगर मे पत्रकारों से कहा, ‘राहुल गांधी का यह आरोप निराधार और बेतुका है कि गुजरात में कोरोना वायरस के कारण 3 लाख लोग जान गंवा चुके हैं. हम गुजरात को बदनाम करने के ऐसे प्रयासों की निंदा करते हैं. यह कांग्रेस द्वारा झूठ के माध्यम से जनता को उकसाने और उनमें दहशत पैदा करने के उसके एजेंडे के तहत किया जा रहा है.’

वाघानी के अनुसार, गुजरात में मौत का आधिकारिक आंकड़ा 10,088 (24 नवंबर को 10,092) है, न कि 3 लाख, जैसा कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया था.

इसकी तुलना में मंत्री ने कहा कि महाराष्ट्र में जहां कांग्रेस सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा है, आधिकारिक तौर पर कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या 1,40,807 है. उन्होंने कहा कि पंजाब, राजस्थान और छत्तीसगढ़ कांग्रेस द्वारा शासित हैं, यहां आधिकारिक मृत्यु संख्या क्रमशः 16,553, 8,954 और 13,552 है. वहीं आप शासित दिल्ली में सरकार की आधिकारिक कोरोना वायरस मृत्यु संख्या 25,091 है.

उन्होंने कहा, ‘मैं राहुल गांधी के लोगों को गुमराह करने के प्रयास की निंदा करता हूं, क्योंकि उन्होंने महामारी के दौरान अन्य बीमारियों से होने वाली मौतों को भी कोरोना वायरस के कारण होने वाली मौतों के रूप में दिखाया है.’

उन्होंने कहा कि कोविड-19 पीड़ितों के परिवारों को मुआवजे से संबंधित मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है. सरकार के बचाव में मंत्री ने आगे कहा कि महामारी के दौरान मरने वालों लोगों के मृत्यु प्रमाण-पत्र डब्ल्यूएचओ और स्वास्थ्य विभाग द्वारा तैयार दिशानिर्देशों के अनुसार जारी किए गए थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)