गुजरात: 24 मंत्रियों ने शपथ ली, नए मंत्रिपरिषद में विजय रूपाणी सरकार का कोई सदस्य नहीं

बीते 11 सितंबर को विजय रूपाणी ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया था, जिसके बाद 13 सितंबर को भूपेंद्र पटेल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. नए मंत्रिपरिषद में किसी पुराने मंत्री को जगह न मिलने पर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा है कि दोनों ने अपनी नाकामियां छिपाने के लिए रूपाणी कैबिनेट के सभी मंत्रियों को बाहर कर दिया.

बीते 11 सितंबर को विजय रूपाणी ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया था, जिसके बाद 13 सितंबर को भूपेंद्र पटेल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. नए मंत्रिपरिषद में किसी पुराने मंत्री को जगह न मिलने पर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा है कि दोनों ने अपनी नाकामियां छिपाने के लिए रूपाणी कैबिनेट के सभी मंत्रियों को बाहर कर दिया.

राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने नये मंत्रियों को शपथ दिलाई. (फोटो सभार: ट्विटर/@CMOGuj)

गांधीनगर/नई दिल्ली: गुजरात में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बृहस्पतिवार को नवनियुक्त मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के मंत्रिपरिषद में 24 नए सदस्यों को शामिल किया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य में बनाए गए इन नए मंत्रियों में 21 पहली बार मंत्री बने हैं. नई मंत्रिपरिषद में निवर्तमान मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की मंत्रिपरिषद के किसी सदस्य को शामिल नहीं किया गया है. साथ ही किसी को भी उपमुख्यमंत्री नहीं बनाया गया है. रूपाणी के नेतृत्व वाली सरकार में नितिन पटेल उपमुख्यमंत्री का पद संभाल रहे थे.

बाद में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने मंत्रियों के बीच विभागों का भी बंटवारा कर दिया. मुख्यमंत्री ने गृह सहित कई विभाग अपने पास ही रखे हैं. उन्होंने कनुभाई देसाई को वित्त एवं ऊर्जा और पेट्रोकेमिकल्स विभाग की जिम्मेदारी सौंपी है.

मुख्यमंत्री पटेल, गृह विभाग के अलावा सामान्य प्रशासन विभाग, सूचना एवं प्रसारण, उद्योग, खान एवं खनिज, कैपिटल प्रोजेक्ट्स, शहरी विकास, शहरी आवास और नर्मदा तथा बंदरगाह विभाग का प्रभार भी अपने पास रखेंगे.

10 कैबिनेट मंत्रियों और 14 राज्य मंत्रियों को शपथ दिलाई, जिनमें पांच स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री भी शामिल हैं. मंत्रिपरिषद में दो महिलाओं को भी शामिल किया गया है.

पूर्ववर्ती विजय रूपाणी सरकार के दौरान विधानसभा अध्यक्ष रहे राजेंद्र त्रिवेदी को राजस्व, कानून और न्याय तथा संसदीय कार्य विभाग कैबिनेट स्तर के मंत्री के रूप में आवंटित किया गया है. जीतूभाई वघानी को कैबिनेट मंत्री के रूप में शिक्षा विभाग दिया गया है, जबकि रिषीकेश पटेल को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और मेडिकल शिक्षा विभाग तथा जल संसाधन व जलापूर्ति विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

पूर्णेश मोदी सड़क एव भवन, परिवहन, नागर विमानन, पर्यटन, तीर्थयात्रा विभाग संभालंगे. राघवजी पटेल कृषि एवं पशुपालन विभाग की जिम्मेदारी संभालेंगे. कैबिनेट स्तर के एक अन्य मंत्री, किरीतसिंह राणा को वन, पर्यावरण, जलवायु परविर्तन और प्रिंटिग तथा स्टेशनरी विभाग दिया गया है.

नरेश पटेल जनजातीय विकास और खाद्य एवं आपूर्ति विभाग संभालेंगे. प्रदीप परमार को सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता मंत्री, जबकि अर्जुनसिंह चौहान को ग्रामीण विकास और ग्रामीण आवास मंत्री बनाया गया है.

मंत्रिपरिषद के सबसे युवा सदस्य हर्ष सांघवी गृह राज्य मंत्री होंगे. वह आपदा प्रबंधन और पुलिस हाउसिंग विभाग भी संभालेंगे.

राज्य मंत्री मनीषाबेन वकील को महिला एवं बाल विकास विभाग का स्वतंत्र प्रभार दिया गया है. वह सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता विभाग की कनिष्ठ मंत्री भी होंगी. वहीं, निमिशा सुतार को जनजाति विकास, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और मेडिकल शिक्षा विभागों का कनिष्ठ मंत्री बनाया गया है.

मंत्रिपरिषद में नये सदस्यों को शामिल किए जाने के साथ मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल नीत भाजपा सरकार में मंत्रियों की कुल संख्या बढ़कर 25 हो गई. पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती मंत्रिपरिषद के किसी भी सदस्य को नई मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं किया गया.

राज्य के 17वें मुख्यमंत्री के रूप में सोमवार को शपथ ग्रहण करने वाले भूपेंद्र पटेल इस दौरान रूपाणी के साथ मौजूद थे. विजय रूपाणी के शनिवार को मुख्यमंत्री पद से अचानक इस्तीफा देने के बाद नई मंत्रिपरिषद का गठन किया गया है.

कैबिनेट मंत्रियों के रूप में शपथ लेने वालों में राजेंद्र त्रिवेदी, जीतू वघानी, ऋषिकेश पटेल, पूर्णेश मोदी, राघवजी पटेल, कनुभाई देसाई, किरीट सिंह राणा, नरेश पटेल, प्रदीप परमार और अर्जुन सिंह चौहान शामिल हैं.

उल्लेखनीय है कि इनमें त्रिवेदी, राणा और राघवजी पटेल पहले भी मंत्री रहे हैं.

वहीं, नौ राज्य मंत्रियों में मुकेश पटेल, निमिशा सुतार, अरविंद रैयानी, कुबेर डिंडोर, कीर्ति सिंह वाघेला, गजेंद्र सिंह परमार, आर सी मकवाना, विनोद मोरादिया और देव मालम शामिल हैं.

बाद में मुख्यमंत्री पटेल ने मंत्रिपरिषद के सदस्यों के साथ बैठक की और उन्हें विभागों की जिम्मेदारी सौंपी. मंत्रिपरिषद के गठन में पार्टी ने जातिगत और क्षेत्रीय संतुलन साधने की कोशिश की है.

पाटीदार समुदाय के नेता भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री पद के लिए चुनने के बाद भाजपा ने पटेल और ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) में प्रत्येक से छह, अनुसूचित जाति से चार, अनुसूचित जनजाति से तीन, ब्राह्मण और क्षत्रिय से दो-दो तथा जैन समुदाय से एक सदस्य को मंत्री पद दिया है.

मुख्यमंत्री को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल का नजदीकी माना जाता है. इसी प्रकार मंत्रिपरिषद में शामिल किए गए ऋषिकेश पटेल और जगदीश पांचाल को भी आनंदी बेन पटेल का करीबी माना जाता है.

कैबिनेट मंत्री बनाए गए राजेंद्र तिवारी और किरीट सिंह राणा पार्टी के पुराने कार्यकर्ता हैं और उन्हें प्रधानमंत्री का करीबी माना जाता है जबकि राज्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले हर्ष सांघवी को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल का बेहद करीबी माना जाता है.

शपथ ग्रहण समारोह के बाद पार्टी के एक सूत्र ने बताया कि वरिष्ठ नेताओं को मंत्रिपरिषद में शामिल न किए जाने को लेकर व्यापक असंतोष है.

एक सूत्र ने कहा, ‘शपथ ग्रहण समारोह पहले बुधवार को तय किया गया था लेकिन उसे स्थगित कर दिया गया क्योंकि कुछ मंत्रियों में पद से हटाए जाने को लेकर नाराजगी थी.’

सूत्र ने बताया कि बुधवार को शपथ ग्रहण के मद्देनजर राजभवन में पोस्टर और बैनर भी लगा दिए गए थे.

पत्रकारों ने जब पूर्व उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल से इस कथित असंतोष के बारे में पूछा तो उन्होंने दार्शनिक अंदाज में कहा, ‘लोग पदों पर आते हैं और जाते हैं. उनके समर्थकों को इसकी अनुभूति होती है. लेकिन अब यह मेरी जिम्मेदारी नहीं है. पार्टी नेतृत्व को इसे देखना होगा.’

उन्होंने नये मंत्रियों को बधाई दी और कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में वह पार्टी का नेतृत्व करेंगे.

ज्ञात हो विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ‘न दोहराने का फार्मूला’ अपनाती रही है और इसके तहत बड़ी संख्या में विधायकों के टिकट काटे जाते हैं. हालांकि भाजपा ने इस बार यह फार्मूला मंत्रिपरिषद के गठन में अपनाया है.

पटेल को मुख्यमंत्री बनाए जाने को, चुनाव से पहले पाटीदार समुदाय को साधने के भाजपा के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है. राज्य में दो दशकों से भाजपा का शासन हैं. वर्ष 1960 में राज्य के गठन के बाद से मुख्यमंत्री का पद संभालने वाले पटेल पाटीदार समुदाय के पांचवें नेता हैं. यह राज्य के प्रभावशाली पाटीदार समुदाय के दबदबे को दर्शाता है.

प्रधानमंत्री मोदी ने मंत्रिपरिषद के नए सदस्यों को बधाई दी है.

उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘गुजरात सरकार में मंत्री पद की शपथ लेने वाले, पार्टी के सभी सहयोगियों को बधाई. यह वे उत्कृष्ट कार्यकर्ता हैं जिन्होंने सार्वजनिक सेवा और हमारी पार्टी के विकास के एजेंडे को बढ़ाने के लिए अपना जीवन समर्पित किया है. उन्हें आने वाले कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं.’

प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने अपनी नाकामियां छिपाने के लिए 22 मंत्रियों को बाहर किया: कांग्रेस

कांग्रेस ने गुजरात की भाजपा सरकार की नए मंत्रिपरिषद में पुराने किसी भी मंत्री को जगह नहीं दिए जाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि भाजपा के इन दोनों शीर्ष नेताओं ने अपनी नाकामियां छिपाने के लिए विजय रूपाणी कैबिनेट के सभी 22 मंत्रियों को बाहर कर दिया.

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘मोदी-शाह का गुजरात मॉडल: खुद बेदाग़ दिखने व अपनी चौतरफ़ा नाकामियों को छिपाने के लिए रूपाणी कैबिनेट के सभी 22 मंत्री कैबिनेट से बाहर.’

उन्होंने सवाल किया, ‘‘मोदी जी, यदि वो सब नाकाबिल थे तो उन्हें मंत्री क्यों बनाया और काबिल थे तो कैबिनेट से निकाला क्यों? कितना बेवकूफ बनाएंगे? देश जवाब मांगता है !’

कांग्रेस की गुजरात इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने सत्तारूढ़ पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि नये मंत्रियों को गुजरात में भाजपा की ‘आखिरी सरकार’ के बचे 15 महीनों में राज्य की भलाई के लिए काम करना चाहिए.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘गुजरात सरकार में शपथ ग्रहण करने वाले सभी मंत्रीगण को मेरी शुभकामनाएं. एक अंतिम निवेदन भाजपा के हर नेता से करना चाहता हूं. माना अब गुजरात में आपकी आखिरी सरकार के सिर्फ़ 15 महीने बचे हैं. इस बचे हुए समय का सदुपयोग जनता की भलाई के लिए करें, न कि उन्हें लूटने में समय बर्बाद करे.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)