कांग्रेस ने रविवार को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में ‘किसान महापंचायत’ के समर्थन में आवाज उठाई और पार्टी नेता राहुल गांधी ने कहा, ‘गूंज रही है सत्य की पुकार तुम्हें सुनना होगा, अन्यायी सरकार.’
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा, ‘किसानों की हुंकार के सामने किसी भी सत्ता का अहंकार नहीं चलता.’
प्रियंका गांधी ने भी महापंचायत के समर्थन में आवाज उठाते हुए कहा, ‘किसान इस देश की आवाज हैं. किसान देश का गौरव हैं. किसानों की हुंकार के सामने किसी भी सत्ता का अहंकार नहीं चलता. खेती-किसानी को बचाने और अपनी मेहनत का हक मांगने की लड़ाई में पूरा देश किसानों के साथ है.’
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘किसान का खेत-खलिहान चुराने वाले देशद्रोही हैं.’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने महापंचायत का समर्थन करते हुए विश्वास जताया कि संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में आयोजित महापंचायत किसानों के हितों को मजबूती देने वाली साबित होगी.
पायलट ने हिंदी में किये एक ट्वीट में कहा, ‘मुझे भरोसा है कि संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में आयोजित #मुजफ्फरनगर_किसान_महापंचायत किसान हितों को मजबूती देने वाली साबित होगी. शांतिपूर्ण किसान आंदोलन की दिशा में ये महापंचायत मील का पत्थर साबित हो- ऐसी मेरी शुभकामनाएं हैं.’
भाजपा ने किसान महापंचायत को ‘चुनाव रैली’ करार दिया
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मुजफ्फरनगर में हुई ‘किसान महापंचायत’ को रविवार को ‘चुनाव रैली’ करार दिया और इसके आयोजकों पर उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीति करने का आरोप लगाया.
भाजपा के किसान मोर्चा प्रमुख एवं सांसद राजकुमार चाहर ने एक बयान में दावा किया कि ‘महापंचायत’ के पीछे का एजेंडा राजनीति से जुड़ा है, न कि किसानों की चिंताओं से.
उन्होंने कहा कि यह किसान महापंचायत नहीं, बल्कि राजनीतिक एवं चुनावी बैठक थी तथा विपक्ष और संबंधित किसान संगठन राजनीति करने के लिए किसानों का इस्तेमाल कर रहे हैं.
चाहर ने दावा किया कि किसी अन्य सरकार ने किसानों के लिए इतना काम नहीं किया है, जितना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने पिछले सात साल में किया है.
केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले नौ महीने से दिल्ली की सीमाओं पर बैठे हुए हैं.
Lakhs of farmers have gathered in protest today, in Muzaffarnagar. They are our own flesh and blood. We need to start re-engaging with them in a respectful manner: understand their pain, their point of view and work with them in reaching common ground. pic.twitter.com/ZIgg1CGZLn
— Varun Gandhi (@varungandhi80) September 5, 2021
इस बीच भाजपा सांसद वरुण गांधी ने रविवार को कहा कि किसी समझौते पर पहुंचने के लिए सरकार को तीन नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के साथ फिर से बातचीत करनी चाहिए.
गांधी ने लोगों के हुजूम का एक वीडियो ट्विटर पर साझा करते हुए लिखा, ‘आज मुजफ्फरनगर में विरोध प्रदर्शन के लिए लाखों किसान इकट्ठा हुए हैं. वे हमारे अपने ही हैं. हमें उनके साथ सम्मानजनक तरीके से फिर से बातचीत करनी चाहिए और उनकी पीड़ा समझनी चाहिए, उनके विचार जानने चाहिए और किसी समझौते तक पहुंचने के लिए उनके साथ मिल कर काम करना चाहिए.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)
उत्तर प्रदेश के अलावा कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले किसान आंदोलन तेज़ करने की रणनीति के तहत कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से मुज़फ़्फ़रनगर में महापंचायत का आयोजन किया गया. महापंचायत का जहां विपक्ष के नेताओं ने समर्थन किया है, वहीं भाजपा ने इसे चुनावी रैली क़रार दिया है. हालांकि भाजपा सांसद वरुण गांधी ने कहा है कि किसानों के साथ फ़िर से बातचीत शुरू करनी चाहिए.
मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत के दौरान जुटी भीड़ (फोटो: पीटीआई)
लखनऊ/मुजफ्फरनगर/नई दिल्ली: अगले वर्ष की शुरुआत में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ अपने इरादे को बुलंद करते हुए भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने रविवार को दावा किया कि ‘सेल फॉर इंडिया’ का बोर्ड देश में लग चुका है और जो देश बेच रहे हैं उनकी पहचान करनी पड़ेगी और बड़े-बड़े आंदोलन चलाने पड़ेंगे.
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर शहर में मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान में रविवार को संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से आयोजित किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए राकेश टिकैत ने कहा, ‘आज संयुक्त किसान मोर्चा ने जो फैसले लिए हैं, उसके तहत हमें पूरे देश में बड़ी-बड़ी सभाएं करनी पड़ेंगी. अब यह मिशन केवल उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड का मिशन नहीं, अब यह मिशन संयुक्त मोर्चे का देश बचाने का मिशन होगा.’
उन्होंने आगे कहा, ‘यह देश बचेगा तो यह संविधान बचेगा. लड़ाई उस मुकाम पर आ गई है और जो बेरोजगार हुए हैं यह लड़ाई उनके कंधों पर हैं.’
उन्होंने कहा, ‘हमें फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी चाहिए. प्रधानमंत्री ने कहा था कि 2022 में किसानों की आय दोगुनी होगी और पहली जनवरी से हम दोगुनी रेट पर फसल बेचेंगे. हम जाएंगे देश की जनता के बीच में और पूरे देश में संयुक्त किसान मोर्चा आंदोलन करेगा.’ ‘’
इस किसान महापंचायत का जहां विपक्ष के नेताओं ने समर्थन किया है, वहीं भाजपा ने इसे चुनावी रैली करार दिया है.
टिकैत ने कहा, ‘जिस तरह एक-एक चीज बेची जा रही है, तीनों कृषि कानून उसी का एक हिस्सा हैं.’
उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर देश की जनता को धोखा देने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘इनका धोखा नंबर एक है कि यहां पर रेल, हवाई जहाज और हवाई अड्डे बेचे जाएंगे. धोखा नंबर दो- बिजली बेचकर निजीकरण करेंगे, यह कहीं घोषणा पत्र में नहीं लिखा. जब वोट मांगते तो नहीं कहा कि बिजली भी बेचेंगे.’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘ये सड़क बेचेंगे और पूरी सड़कों पर टैक्स लगेगा और राष्ट्रीय राजमार्ग के 500 मीटर तक कोई चाय की गुमटी भी नहीं लगा सकता. देखना ये क्या-क्या चीज बेच रहे हैं. ‘सेल फॉर इंडिया’ का बोर्ड देश में लग चुका है. एलआईसी, सार्वजनिक कंपनियां, बैंक सब बिक रहे हैं. देश के बंदरगाह बेच दिए गए हैं. ये जल को बेच रहे हैं, निजी कंपनियों को नदियां बेची जा रही हैं. ये कभी भी बोर्ड लगा सकते है कि भारत बिकाऊ है.’
टिकैत ने कहा कि अब ओएनजीसी, बीपीसीएल, इस्पात और चिकित्सा और देश का संविधान भी खतरे में हैं. उन्होंने कहा कि बाबा अंबेडकर का संविधान खतरे में है, उसको भी बचाना है. उन्होंने कहा कि अब खेती-किसानी भी बिक्री के कगार पर है और इसलिए ये आंदोलन नौ माह से चल रहा है.
बीते 26 जनवरी की दिल्ली में ट्रैक्टर परेड हिंसा पर उन्होंने कहा, ‘ये कहते हैं कि लाल किले पर किसान गया. लाल किले पर नहीं, किसान अगर जाता तो संसद जाता जहां कानून बने हैं. लाल किले पर धोखे से लेकर गए हैं आप हमको. हमारे लोग नहीं गए, धोखे से लेकर आप लोग गए हैं.’
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के प्रवक्ता ने कहा, ‘हम उत्तर प्रदेश की जिस जमीन पर हैं वह गन्ने का क्षेत्र है. इन लोगों ने कभी नहीं कहा कि गन्ने का मूल्य 450 रुपये देने को तैयार हैं. सरकारें पहले भी आईं और उन्होंने 80 रुपये गन्ने का रेट बढ़ाया. दूसरी वाली सरकार आई तो 50 रुपये रेट बढ़ाया, लेकिन क्या योगी सरकार उन दोनों से कमजोर है, एक रुपया भी गन्ने का रेट नहीं बढ़ाया.’
उन्होंने आगे कहा, ‘हमारा 12 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा चीनी मिलों और सरकार पर गन्ना मूल्य का बकाया है और अगर हम मांगते हैं तो कहते हैं कि ये राजनीति कर रहे हैं. अगर ये मुद्दा उठाना राजनीति है तो ये मुद्दे यहां के लोग उठाते रहेंगे.’
किसान नेता ने नारा दिया और कहा कि अब यह नारा लगाना पड़ेगा कि पूर्ण रूप से फसलों के दाम नहीं तो वोट नहीं.
टिकैत ने कहा, ‘यहां पर पुलिस फोर्स के लोग हैं जो 24 घंटे ड्यूटी देते हैं, लेकिन उनकी सैलरी प्राइमरी के टीचर से आधी है और अपनी आवाज नहीं उठा सकते हैं.’
उन्होंने पुलिसकर्मियों का वेतन शिक्षकों के वेतन के बराबर करने की मांग की.
टिकैत ने कहा कि जितने सरकारी कर्मचारी हैं उनकी पेंशन खत्म कर रहे और एमपी-एमएलए पेंशन ले रहे हैं. आप देश में निजीकरण करोगे तो रोजगार खत्म करोगे.
उन्होंने कहा कि मोदी, अमित शाह और योगी बाहर के हैं और इनको यहां से जाना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की जमीन पर ये दंगा करवाने वाले लोग हैं और इनको यहां की जनता बर्दाश्त नहीं करेगी.
उन्होंने कहा कि अगर कोई उत्तराखंड से चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री बन जाता है तो हमें आपत्ति नहीं है, लेकिन उत्तर प्रदेश की धरती पर इन दंगाइयों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में रविवार सुबह विभिन्न राज्यों के किसान मुजफ्फरनगर के राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान में हुई किसान महापंचायत में बड़ी संख्या में शामिल हुए.
कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने से पहले रैली के बारे में विस्तार से बताते हुए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, ‘हमें देश को बिकने से रोकना है. किसान को बचाना चाहिए, देश को बचाना चाहिए, कारोबारियों, कर्मचारियों और युवाओं को बचाना चाहिए, यही रैली का उद्देश्य है.’
टिकैट ने कहा, जब भारत सरकार हमें बातचीत के लिए आमंत्रित करेगी, हम जाएंगे. जब तक सरकार हमारी मांगें पूरी नहीं करती तब तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा. आजादी के लिए संघर्ष 90 साल तक चला, इसलिए मुझे नहीं पता कि यह आंदोलन कब तक चलेगा.
इस बीच किसान एकता मोर्चा ने रणसिंघा (वाद्य यंत्र) बजाते हुए एक व्यक्ति की तस्वीर ट्विटर पर साझा करते हुए लिखा, ‘पुराने समय में जब इज्जत, मान7सम्मान के लिए युद्ध लड़े जाते थे तो इसी यंत्र से आह्वान किया जाता था. आज भाजपा-कॉरपोरेट राज के खिलाफ समस्त किसान-मजदूर ने युद्ध का आह्वान किया है.’
कार्यक्रम को अधिकार कार्यकर्ता मेधा पाटकर और स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव समेत कई प्रमुख वक्ताओं ने संबोधित किया. यादव को मंच पर टिकैत ने पीला वस्त्र दिया. इस अवसर पर राकेश टिकैत को एक गदा भी भेंट की गई और कर्नाटक की एक महिला किसान नेता ने सभा को कन्नड़ भाषा में संबोधित किया.
भारतीय किसान यूनियन के एक अन्य प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक के अनुसार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, कर्नाटक जैसे विभिन्न राज्यों के 300 किसान संगठनों के किसान कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे हैं, जहां 5,000 से अधिक लंगर (भोजन स्टाल) लगाए गए हैं.
उनके अनुसार, संगठनों के झंडे और अलग-अलग रंग की टोपी पहने किसान बसों, कारों और ट्रैक्टरों के जरिये यहां पहुंचते देखे गए. आयोजन स्थल के आसपास कई चिकित्सा शिविर भी लगाए गए हैं. जीआईसी कॉलेज के मैदान तक पहुंचने में असमर्थ लोगों को कार्यक्रम देखने की सुविधा प्रदान करने के लिए शहर के विभिन्न हिस्सों में एलईडी स्क्रीन भी लगाई गई हैं.
इसके पहले मुजफ्फरनगर जिला प्रशासन ने आयोजन स्थल और महापंचायत के प्रतिभागियों पर हेलीकॉप्टर से फूल बरसाने के राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के अनुरोध को खारिज कर दिया है.
सिटी मजिस्ट्रेट अभिषेक सिंह ने रालोद के अनुरोध को यह कहते हुए खारिज किया कि सुरक्षा कारणों से इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है. रालोद प्रमुख जयंत चौधरी ने जिला प्रशासन से आंदोलन कर रहे किसानों के सम्मान में महापंचायत पर हेलीकॉप्टर से फूल बरसाने की अनुमति मांगी थी.
जिला प्रशासन ने एहतियात के तौर पर केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक उमेश मलिक के आवासों पर पुलिस तैनात कर दी.
मुजफ्फरनगर से भाजपा सांसद संजीव बालयान ने कहा कि अगर संयुक्त किसान मोर्चा राजनीति में आना चाहता है तो हम उसका स्वागत करेंगे.
संयुक्त किसान मोर्चा ने शनिवार को एक बयान में दावा किया था, ‘पांच सितंबर की ‘महापंचायत’ राज्य और केंद्र की योगी-मोदी सरकार को किसानों, खेत मजदूरों और कृषि आंदोलन के समर्थकों की ताकत का एहसास कराएगी. मुजफ्फरनगर ‘महापंचायत’ पिछले नौ महीनों में अब तक की सबसे बड़ी महापंचायत होगी.’
बयान में कहा गया कि ‘महापंचायत’ में भाग लेने वाले किसानों के लिए 100 चिकित्सा शिविर भी लगाए गए हैं. पंजाब के कुल 32 किसान संघों ने राज्य सरकार को प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामले वापस लेने के लिए आठ सितंबर की समय सीमा दी है और कहा कि अगर मामले वापस नहीं लिए जाते, तो किसान आठ सितंबर को बड़े विरोध के लिए खाका तैयार करेंगे.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार की ओर से कृषि से संबंधित तीन विधेयक- किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 को बीते साल 27 सितंबर को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी थी, जिसके विरोध में नौ महीने से अधिक समय से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.
किसान उन कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं. उन्हें डर है कि वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली को खत्म कर देंगे.
जबकि केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली मोदी सरकार ने इन अध्यादेशों को ‘ऐतिहासिक कृषि सुधार’ का नाम दे रही है. सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि इन कानूनों ने किसानों को अपनी उपज बेचने का नया अवसर दिया है और इस आलोचना को खारिज किया है कि उनका उद्देश्य न्यूनतम समर्थन मूल्य व्यवस्था और कृषि मंडियों को समाप्त करना है.
सरकार, जो प्रमुख कृषि सुधारों के रूप में कानूनों को पेश कर रही है, उसके साथ 10 दौर से अधिक की बातचीत, दोनों पक्षों के बीच गतिरोध को तोड़ने में विफल रही है.
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत के बेटे चरण सिंह टिकैत ने शनिवार को कहा था कि जब तक सरकार तीन कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती तब तक उनके पिता घर नहीं आएंगे.
इस बीच मुजफ्फरनगर जिले के अधिकारियों ने ‘महापंचायत’ के मद्देनजर शराब की सभी दुकानों को बंद करने का आदेश दिया है.
जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह ने कहा कि शराब की सभी दुकानों को शनिवार शाम छह बजे से पांच सितंबर को महापंचायत खत्म होने तक बंद रखने का आदेश दिया गया है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा की दृष्टि से यह कदम उठाया गया है.
मालूम हो कि बीते जुलाई महीने में दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के आंदोलन की अनुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन तेज करने की बात कहते हुए पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर में महापंचायत से इसकी शुरुआत करने की घोषणा की थी.
किसान मोर्चा ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में आंदोलन को तेज करने के लिए चार चरणों में योजना बनाई थी. इसके तहत पहले चरण में राज्यों में आंदोलन में सक्रिय संगठनों के साथ संपर्क और समन्वय स्थापित करने, दूसरे चरण में मंडलवार किसान कन्वेंशन और जिलेवार तैयारी बैठक करने, तीसरे चरण में पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर में किसानों की महापंचायत का आयोजन करने और चौथे चरण में मंडल मुख्यालयों पर महापंचायत करने की घोषणा की थी.
कांग्रेस ने महापंचायत का किया समर्थन, राहुल ने कहा- ‘अन्यायी सरकार’ को सुनना होगा