बलात्कार मामले के बावजूद मुंबई महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित शहर: शिवसेना

मुंबई के साकीनाका में 10 सितंबर को एक महिला के साथ बलात्कार और निजी अंगों में लोहे की छड़ डालने का मामला सामने आया था. छड़ से निर्ममता से हमला करने के बाद आरोपी ने महिला पर चाकू से भी वार किए थे. महिला ने घटना के अगले दिन अस्पताल में दम तोड़ दिया था. शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में कहा गया है कि इस घटना की तुलना हाथरस मामले से करना ग़लत है.

मुंबई के साकीनाका में 10 सितंबर को एक महिला के साथ बलात्कार और निजी अंगों में लोहे की छड़ डालने का मामला सामने आया था. छड़ से निर्ममता से हमला करने के बाद आरोपी ने महिला पर चाकू से भी वार किए थे. महिला ने घटना के अगले दिन अस्पताल में दम तोड़ दिया था. शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा गया है कि इस घटना की तुलना हाथरस मामले से करना ग़लत है.

(प्रतीकात्मक तस्वीर: पीटीआई)

मुंबईः शिवसेना ने सोमवार को कहा कि मुंबई में एक महिला के साथ हुए नृशंस बलात्कार और हत्या के मामले ने सभी को झकझोर कर रख दिया है लेकिन फिर भी मुंबई दुनिया में महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित शहर है और इसे लेकर किसी के मन में कोई संदेह नहीं होना चाहिए.

शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा कि महाराष्ट्र में महिलाओं के खिलाफ अपराध की हालिया घटनाएं राज्य की संस्कृति पर एक धब्बा हैं और इसे लेकर लोगों में गुस्सा उचित है.

बता दें कि साकीनाका में शुक्रवार तड़के एक खड़े टेम्पो के भीतर एक शख्स ने 34 वर्षीय एक महिला के साथ बलात्कार और क्रूरता की. शनिवार तड़के एक अस्पताल में इलाज के दौरान पीड़िता की मौत हो गई थी.

मुंबई में हुए दुष्कर्म की यह घटना दिल्ली में 2012 में हुए निर्भया सामूहिक बलात्कार जैसी ही है. घटना के कुछ घंटों के भीतर ही 45 वर्षीय संदिग्ध आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में उस पर हत्या का मामला भी दर्ज किया गया.

शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में कहा गया, ‘साकीनाका में महिला के बलात्कार और हत्या ने सभी को झकझोर कर रख दिया है लेकिन मुंबई महिलाओं के लिए दुनिया का अत्यंत सुरक्षित शहर है और किसी के भी मन में इस बारे में कोई संदेह नहीं होना चाहिए.’

इस संपादकीय में कहा गया कि साकीनाका इलाके में एक महिला के साथ बलात्कार और हत्या जैसी घटनाएं एक भयंकर विकृति के कारण होती हैं, जिसे दुनिया के किसी भी हिस्से में देखा जा सकता है.

संपादकीय में कहा गया कि मुंबई की इस घटना की तुलना हाथरस (उत्तर प्रदेश में जहां पिछले वर्ष 19 वर्षीय दलित युवती की सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी) मामले से करना पूरी तरह से गलत है.

संपादकीय में दावा किया गया कि हाथरस मामले के दोषियों को राज्य के हुक्मरानों का आश्रय प्राप्त था और दोषियों की गिरफ्तारी में देरी हुई थी. वहीं, सरकार ने सबूत मिटाने के लिए आनन-फानन में पीड़िता के शव को जला दिया.

मराठी दैनिक ने कहा, ‘योगी सरकार ने तो कहा था कि हाथरस में कोई बलात्कार नहीं हुआ, जो गलत साबित हुआ. जिस तेजी से राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम साकीनाका पहुंची, वह तत्परता हाथरस मामले में नहीं दिखाई दी.’

संपादकीय में कहा गया, ‘वहीं कठुआ (2018 में जम्मू कश्मीर में एक नाबालिग लड़की का बलात्कार मामला) बलात्कार मामले के आरोपी को बचाने के लिए एक विशेष राजनीतिक दल के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए थे जबकि साकीनाका घटना में पुलिस ने 10 मिनट में आरोपी को गिरफ्तार कर लिया.’

शिवसेना ने कहा कि ऐसे मामलों का एकमात्र समाधान विकृत मानसिकता पर अंकुश लगाना है.

सामना में सवाल किया गया, ‘राज्य सरकार ने साकीनाका पीड़िता की दो बेटियों की शिक्षा और आजीविका का ख्याल रखने का फैसला किया है. क्या यह संवेदनशील होने का संकेत नहीं है?’

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने मुंबई के पुलिस आयुक्त हेमंत नगराले की इस टिप्पणी का भी बचाव किया कि पुलिस हमेशा अपराधस्थल पर मौजूद नहीं हो सकती. अन्य सभी राज्यों और शहरों की पुलिस इससे सहमत होगी.

संपादकीय में कहा गया कि साकीनाका बलात्कार पीड़िता और आरोपी एक-दूसरे को जानते थे. डॉक्टरों और पुलिस के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद महिला ने दम तोड़ दिया.

महाराष्ट्र में राकांपा और कांग्रेस के साथ सत्ता साझा कर रही शिवसेना ने कहा, ‘अब मामले को न्यायपालिका पर छोड़ दें. अपराधी को हाथरस और कठुआ (मामलों) के विपरीत निश्चित रूप से फांसी पर लटकाया जाएगा क्योंकि आरोपी के समर्थन में कोई भी सामने नहीं आया है.’

सामना में कहा गया कि साकीनाका की घटना पर आंसू बहाना मन की संवेदनशीलता को दर्शाता है, लेकिन जब मगरमच्छ के आंसू बहाए जाते हैं, तो यह भय पैदा करता है और इससे घटना की गंभीरता नष्ट हो जाती है.

संपादकीय में राज्य के नेताओं से संबंधित कई मामलों की जांच केंद्रीय एजेंसियों द्वारा किये जाने की ओर इशारा करते हुए व्यंग्यात्मक रूप से कहा गया, ‘पुलिस को अपना काम करने दें लेकिन अगर कोई साकीनाका (मामले) की फाइल ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) को सौंपना चाहता है, तो कोई क्या कर सकता है.’

बता दें कि मुंबई के साकीनाका में 10 सितंबर को एक महिला के साथ बलात्कार और उसके निजी अंगों में लोहे की छड़ डालने का मामला सामने आया था. छड़ से निर्ममता से हमला करने के बाद आरोपी ने उस पर चाकू से भी वार किया था. महिला ने घटना के अगले दिन अस्पताल में दम तोड़ दिया था.

घटना के कुछ ही घंटों के भीतर पुलिस ने आरोपी मोहन चौहान (45 वर्ष) को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ मामला दर्ज कर लेने की जानकारी दी थी. पीड़िता की मौत के बाद आरोपी पर हत्या का मामला भी दर्ज किया गया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)