बंगाल के पूर्व सीएम बुद्धदेव भट्टाचार्य और गायिका संध्या मुखर्जी ने पद्म सम्मान ठुकराया

पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री और माकपा के वरिष्ठ नेता बुद्धदेव भट्टाचार्य को देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण और बंगाली पार्श्व गायिका संध्या मुखर्जी को पद्म श्री देने की घोषणा की गई थी. भट्टाचार्य ने कहा है कि इस बारे में उन्हें किसी ने कुछ नहीं बताया था. वहीं गायिका मुखर्जी की बेटी ने कहा कि 90 साल की उम्र में उनके जैसी एक किंवदंती को पद्मश्री प्रदान करना बेहद अपमानजनक है.

पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री और माकपा के वरिष्ठ नेता बुद्धदेव भट्टाचार्य को देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण और बंगाली पार्श्व गायिका संध्या मुखर्जी को पद्म श्री देने की घोषणा की गई थी. भट्टाचार्य ने कहा है कि इस बारे में उन्हें किसी ने कुछ नहीं बताया था. वहीं गायिका मुखर्जी की बेटी ने कहा कि 90 साल की उम्र में उनके जैसी एक किंवदंती को पद्मश्री प्रदान करना बेहद अपमानजनक है.

बुद्धदेव भट्टाचार्य. (फोटो: पीटीआई)

कोलकाता: पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री और माकपा के वरिष्ठ नेता बुद्धदेव भट्टाचार्य ने बीते मंगलवार को देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण को अस्वीकार कर दिया. उनके अलावा एक बंगाली गायिका संध्या मुखर्जी ने सम्मान लेने से इनकार ​कर दिया है.

बुद्धदेव भट्टाचार्य ने एक बयान में कहा, ‘मैं इस पुरस्कार के बारे में कुछ नहीं जानता. इस बारे में मुझे किसी ने कुछ नहीं बताया. अगर उन्होंने मुझे पद्म भूषण देने का फैसला किया है, तो मैं इसे स्वीकार करने से इनकार करता हूं.’

खराब स्वास्थ्य के कारण सक्रिय राजनीति से पीछे हटे भट्टाचार्य नरेंद्र मोदी सरकार के मुखर आलोचक रहे हैं.

77 वर्षीय कम्युनिस्ट नेता 2000-2011 तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री थे. माकपा ने ट्विटर और मीडिया पर उनके इनकार का समर्थन किया है.

माकपा की ओर से ट्वीट कर कहा गया है, ‘पद्म भूषण पुरस्कार के लिए नामांकित कॉमरेड बुद्धदेव भट्टाचार्य ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. माकपा की नीति सरकार से ऐसे पुरस्कारों को न लेने की रही है. हमारा काम लोगों के लिए है, पुरस्कार के लिए नहीं. कॉमरेड ईएमएस (नंबूदरीपाद) जिन्हें पहले एक पुरस्कार की पेशकश की गई थी, ने भी इसे अस्वीकार कर दिया था.’

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुत्व के ‘पोस्टर बॉय’ दिवंगत कल्याण सिंह और हाल ही में एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत भारत के पहले प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत को मंगलवार को मरणोपरांत पद्म विभूषण सम्मान दिए जाने की घोषणा की गई.

इसके अलावा कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद और माकपा नेता बुद्धदेव भट्टाचार्य को पद्म भूषण से सम्मानित करने की घोषणा की गई है.

दूसरी ओर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दावा किया है कि अस्वस्थ चल रहे बुद्धदेव भट्टाचार्य को पद्म भूषण देने के सरकार के फैसले के बारे में उनके नाम की घोषणा से पहले उनकी पत्नी को सूचित किया था और उनके परिवार से किसी ने भी इस पर आपत्ति नहीं जताई थी. यह जानकारी आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार रात को दी.

सूत्रों ने कहा कि गृह मंत्रालय पुरस्कार विजेताओं के नामों की घोषणा करने से पहले हमेशा संभावितों को पद्म पुरस्कार देने के फैसले के बारे में बताता है. सूत्रों ने कहा कि अगर कोई आपत्ति जताता है तो उनका नाम घोषित नहीं किया जाता है.

उन्होंने कहा कि चूंकि भट्टाचार्य के परिवार से किसी ने भी दिन भर गृह मंत्रालय से संपर्क नहीं किया, इसलिए देर शाम उनके नाम की घोषणा पद्म पुरस्कार विजेताओं में से एक के रूप में की गई.

माकपा केंद्रीय समिति के सदस्य सुजान चक्रवर्ती ने कहा, ‘कम्युनिस्ट सरकारी पुरस्कारों के लिए लालायित नहीं हैं. इससे पहले ज्योति बसु ने भारत रत्न से इनकार कर दिया था. इसलिए यह अपेक्षित था.’

इस बीच कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पार्टी नेता गुलाम नबी आजाद पर परोक्ष रूप से कटाक्ष किया है. आजाद इस पुरस्कार से सम्मानित एक अन्य विपक्षी दल के नेता हैं.

भट्टाचार्य द्वारा पद्म पुरस्कार से इनकार करने के बाद रमेश ने ट्विटर पर लिखा, ‘सही किया, वह गुलाम नहीं बल्कि आजाद बनना चाहते हैं.’

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद जी23 के समूह का हिस्सा थे, जो पार्टी नेतृत्व के आलोचक रहे हैं और उन्होंने संगठनात्मक बदलाव की मांग की है

गायिका संध्या मुखर्जी को पद्मश्री सम्मान लेने से इनकार

माकपा के वरिष्ठ नेता बुद्धदेव भट्टाचार्य की तरह ही लोकप्रिय पार्श्व गायिका संध्या मुखर्जी ने भी पद्मश्री सम्मान लेने से इनकार कर दिया है.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, उनकी बेटी सौमी सेनगुप्ता ने कहा, ‘90 साल की उम्र में उनके जैसी एक किंवदंती को पद्मश्री प्रदान करना बेहद अपमानजनक है.’

सेनगुप्ता ने कहा कि यह फैसला राजनीति से प्रेरित नहीं था.

सेनगुप्ता ने कहा, इसमें कोई राजनीति नहीं है. ‘वह किसी भी तरह की राजनीति से बहुत आगे हैं. कृपया इसमें कोई राजनीतिक कारण ढूंढने की कोशिश न करें. उन्होंने बस इसे लेकर अपमानित महसूस किया.’

संध्या मुखर्जी को 60 और 70 के दशक की सबसे मधुर आवाजों में से एक माना जाता था. उन्होंने बंगाली और लगभग एक दर्जन अन्य भाषाओं में हजारों गाने गाए हैं. आज भी हेमंत मुखर्जी के साथ उनके युगल गीत संगीत प्रेमियों द्वारा याद किए जाते हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)