असमः कर्फ्यू उल्लंघन के आरोप में गिरफ़्तार दुकानदार की पुलिस हिरासत में मौत का आरोप

असम के कछार ज़िले का मामला. बीते 18 जून को कर्फ़्यू के दौरान दुकान खुली रखने के आरोप में दुकानदार बाबुल बानिक को गिरफ़्तार किया गया था. दुकानदार ने पुलिस हिरासत में सांस लेने में तकलीफ की शिकायत की, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां से डॉक्टरों ने उन्हें सिलचर मेडिकल कॉलेज रिफ़र कर दिया था, लेकिन रास्ते में उनकी मौत हो गई.

असम के कछार ज़िले का मामला. बीते 18 जून को कर्फ़्यू के दौरान दुकान खुली रखने के आरोप में दुकानदार बाबुल बानिक को गिरफ़्तार किया गया था. दुकानदार ने पुलिस हिरासत में सांस लेने में तकलीफ की शिकायत की, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां से डॉक्टरों ने उन्हें सिलचर मेडिकल कॉलेज रिफ़र कर दिया था, लेकिन रास्ते में उनकी मौत हो गई.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

सिलचर: असम के कछार जिले में कोविड-19 महामारी को रोकने के लिए लागू कर्फ्यू के दौरान दुकान खोलने के आरोप में गिरफ्तार दुकानदार की मौत पुलिस हिरासत में होने के बाद करीब 500 लोग विरोध प्रदर्शन करने के लिए सड़क पर उतर आए और पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी.

पुलिस ने बताया कि रोंगपुर पुलिस थाने के कोराटीग्राम इलाके में किराना दुकान मालिक को कर्फ्यू के दौरान दुकान खोलने के आरोप में बीते 18 जून को एक ग्राहक के साथ गिरफ्तार किया गया था.

50 वर्षीय दुकानदार बाबुल बानिक ने पुलिस हिरासत में सांस लेने में तकलीफ की शिकायत की थी. इसके बाद उन्हें सिलचर सिविल अस्पताल ले जाया गया, जहां से डॉक्टरों ने उन्हें सिलचर मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेज दिया. हालांकि, डॉक्टरों ने उन्हें वहां मृत घोषित कर दिया.

बानिक की मौत के बाद कोराटीग्राम क्षेत्र के स्थानीय लोगों ने सड़कों पर निकलकर पुलिस हिरासत में उसे प्रताड़ित किए जाने का आरोप लगाया.

500 से ज्यादा लोग कर्फ्यू नियमों का उल्लंघन करते हुए सड़क पर निकल आए और पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई और उनकी तत्काल गिरफ्तारी की मांग की. उन्होंने पुलिसकर्मियों पर दुकानदार को हिरासत में प्रताड़ित करने का आरोप लगाया.

कछार के पुलिस अधीक्षक वीसी चंद्रकांत समेत अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी तत्काल घटनास्थल पर पहुंचे और भीड़ को पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट मिलने के बाद जरूरी कार्रवाई किये जाने का आश्वासन दिया.

मृत दुकानदार की पत्नी ने दावा किया कि वह किसी भी बीमारी से पीड़ित नहीं थे और उन्होंने कर्फ्यू के दौरान दुकान नहीं खोला था, बल्कि परिवार के लिए चीनी लाने गए थे. पुलिस ने बताया कि इलाके में स्थिति तनावपूर्ण, मगर नियंत्रण में है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, असम के कछार जिला प्रशासन ने पुलिस हिरासत में दुकानदार की मौत मामले की स्वतंत्र जांच करने का ऐलान किया है.

कछार के एसपी वैभव निंबालकर ने कहा, ‘हमारे एक अधिकारी को पता चला कि बानिक कर्फ्यू नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं तो उन्होंने तीन अन्य पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया और कानूनी कार्रवाई के लिए थाने ले आए.’

पुलिस के मुताबिक, बानिक को कुछ औपचारिकताओं के बाद जाने दिया गया, उन्होंने उसने छाती में दर्द की शिकायत की. अस्पताल ले जाते समय उनकी मौत हो गई.

निम्बालकार ने कहा, ‘सिलचर सिविल अस्पताल के डॉक्टरों का कहना था कि बानिक के शरीर पर चोट के कोई बाहरी निशान नहीं थे. उन्हें गिरफ्तार करने वाले तीन पुलिसकर्मियों का कहना है कि पुलिस ने उन पर कोई उत्पीड़न नहीं किया था. प्रथमदृष्टया हिरासत में मौत का मामला ही नहीं बनता, लेकिन हम निष्पक्ष जांच के लिए तैयार हैं.’

बानिक के परिवार में पत्नी जाबा बानिक और तीन बच्चे हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक, ‘उनकी पत्नी का कहना है कि बानिक ने दुकान नहीं खोली थी. वह शुक्रवार को कुछ राशन लाने गए थे. दुकान उनके घर के बराबर में ही है.’

मालूम हो कि कछार जिले में दोपहर एक बजे से तड़के पांच बजे तक कर्फ्यू रहता है. सभी दुकानों को दोपहर बारह बजे तक बंद करने के निर्देश दिए गए थे.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)